Friday, February 14, 2020

रैगर समाज के चिंतक नवरत्न गुसाईवाल ने दिल्ली में रैगर समाज का विधायक निर्वाचित नहीं होने पर गहरी चिंता व्यक्त की l



दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया) । युवा समाजसेवी एवं रैगर समाज के चिंतक नवरत्न गुसाईवाल ने हाल ही में दिल्ली विधानसभा के चुनाव में एक भी रैगर समाज का विधायक निर्वाचित नहीं होने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए समाजहित एक्सप्रेस को बताया कि दिल्ली में राजस्थान के बाद सबसे बड़ी आबादी करोलबाग व मादीपुर में रैगर समाज की है । बावजूद इसके आज वो रैगर समाज राजनीती के क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है । क्या कारण है कि रैगर समाज को राजनीति में वो मुकाम नहीं मिल पा रहा जिसका वो हकदार है ।
योगेन्द्र चांदोलिया और विशेष रवि को मिले मतों का अंतर 31760 रहा जो बहुत बड़ा था, लेकिन उसमें एक पेंच यह था कि रैगर समाज के मतदाताओ ने समाज की निष्ठां पर मत नहीं दिया l बड़ी संख्या में रैगर मतदाताओं ने आप की झाडू का बटन दबाया l जिसके कारण आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार विशेष रवि को टोटल 108461 मतों में से 67 हजार 494 मत मिले, जबकि योगेन्द्र चांदोलिया को 35 हजार 734 मत मिले, जिसके कारण नतीजा आप पार्टी के पक्ष में गया l
दिल्ली विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार करोलबाग और मादीपुर जैसी रैगर बाहुल्य की सीटें, जिसे रैगरों का गढ़ माना जाता है, वहां पर चुनाव हारना रैगर समाज की प्रतिष्ठा के लिए नुकसानदेह रहा है l रैगरों का मूल वोट बैंक इस चुनाव में काफी छिटका है l एकता की कमी के कारण ही हमारा समाज आज राजनीतिक व सामाजिक स्तर पर उपेक्षित है। जबकि शिक्षा व जनसंख्या के लिहाज से हमारा समाज दिल्ली में अग्रणी स्थान रखता है ।
दिल्ली और राजस्थान जब भी चुनाव का समय आता है तो अन्य जातियों व मजहब के लोग हमारे वोट बैंकों का इस्तेमाल करते है और जीत जाने के बाद हमें भूल जाते है । हमें अपने हक मांगने के लिए उन लोगों के दरवाजों का चक्कर काटना पड़ता है । बावजूद इसके वो हक हमको नहीं मिल पाता जिसके हम हकदार है । ऐसे में समाज को ये चिंता जरुर करनी चाहिए कि वो अपने हक को कैसे हासिल करे?
दिल्ली में लाखो की आबादी में रैगर मतदाता मौजूद है । बावजूद इसके विगत 30 वर्षो में आज तक वो एक ऐसा नेता पैदा नहीं कर सके जो राजनीतिक समीकरणों को तोड़कर उच्च पदों पर पहुंचकर अपने समाज के लिए कुछ कर पाता । आज अफसोस इस बात का है कि दिल्ली में कुछ वार्ड ऐसे है कि जहां रैगर समाज के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है बावजूद इसके हमारे समाज के लोगों ने आपस में ही लड़कर अन्य समाज के लोगों को तोहफे तौर में निगम और विधानसभा की सीट सौंप दी । यह सिर्फ लोगों की ईष्या व द्वेष की ही देन है जो आपसी मनमुटाव के चलते हम पूरे समाज का नुकसान कर रहे है ।
रैगर समाज के मतदाताओं की संख्या के आंकड़ों के अनुसार 12 विधानसभाओ से आज हम कम से कम 10 वार्ड में निगम पार्षद को चुनकर दिल्ली नगर निगम में पहुंचा सकने की क्षमता रखते है, ऐसे में हम सबको सोचने की जरुरत है । अब वक्त आ गया है कि हमें अपने वोट को पहचानना पड़ेगा और सारे मनमुटाव को भूलकर एकजुट होकर सभी राजनैतिक दलों व जनप्रतिनिधियों से अपना हक मांगना होगा तभी हमारा समाज आगे बढ़ेगा और तरक्की करेगा । अभी भी वक़्त है हम सब आप से अपील करते है की एक होकर अपनी ताक़त का एहसास राजनेताओं को कराये नहीं तो यूँ ही दूसरों के आसरो पर हमें रहना पड़ेगा ।
सुझाव :
समाज के कर्णदार समाज में जन-जागरण का अलख जगा कर समाज को जागरूक कर, उन्नत रास्ते पर ले जाने का संकल्प ले l
दिल्ली के कोने-कोने में विभिन्न संगठनों के रूप में फैले समाज को एक मंच पर लाने का काम हो l
रैगर समाज का एक सर्वमान्य नेता का चुनाव हो l
धर्म से भी बड़ा मुद्दा हमारे लिए अपने रैगर समाज की एकता और पहचान का हो ।
राजनैतिक चुनावो में हम लोग अपने समाज की पहचान और भाईचारा को लेकर एकजुटता से वोट करें l
सामाजिक व राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देना होगा जिससे हम अन्य समाजों की तरह मजबूत बन सके ।


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