दिल्ली, समाजहित
एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l अखिल भारतीय रैगर महासभा (दिल्ली प्रदेश)
के तत्वाधान में रविवार 8 दिसम्बर को मादीपुर स्थित विष्णु मंदिर परिसर में “आइये
भारतीय संविधान को जाने” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य
अतिथि आनन्द कुमार सोंकरिया (उपाध्यक्ष अ.भा.रे. महासभा) तथा राज कुमार थोराट, अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रीय अध्यक्ष आई.एल.ए ने मुख्य वक्ता का
दायित्व निभाया,और चर्चा में मौलिक अधिकारों के हनन के निजी अनुभव भी साझा
किये।
रविवार को रैगर
समाज के इतिहास में लीक से हटकर अखिल भारतीय रैगर महासभा (दिल्ली प्रदेश) के अध्यक्ष
मोती लाल सक्करवाल की अध्यक्षता में रैगर समाज को भारतीय संविधान द्वारा प्रदत
अधिकार और दायित्वों को समझाने तथा संविधान की प्रस्तावना में निहित जीवन मूल्यों
को जीवन में आत्मसात करने हेतु मादीपुर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया
गया। कार्यक्रम की
शुरुआत डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर याद करते हुए नमन किया ।
इसके बाद में दिल्ली प्रांतीय रैगर पंचायत शाखा मादीपुर के प्रधान रामलाल मौर्या को
शाल उढ़ाकर सम्मानित किया गया l
अधिवक्ता राज
कुमार थोराट ने कहा कि भारतीय संविधान का नाम सुनते ही हर भारतीय का सर गर्व से
ऊँचा हो जाता है l हो भी क्यों ना,विश्व का सबसे बड़ा
हस्तलिखित संविधान,हमारा भारतीय संविधान ही है l संविधान का मतलब यह है कि किसी भी देश को सही तरीके से चलाने के लिए एक
संविधान की जरुरत पड़ती है l यह लोगो को नियमो के दायरे में रहकर कार्य करने
की स्वतंत्रता देता है l
संविधान के आधार
पर ही हमारा देश चल रहा है। संविधान के आधार पर ही अनेक नियम कानून बनाए गए हैं।
हम सबों को संविधान की जानकारी रखना और इसका आदर व अनुशरण करना चाहिए। खासकर नई
पीढ़ी को इसे जानने की जरूरत है।
दोस्तों, भारत के संविधान के प्रति हमारी आस्था, उसके बारे में जानना और
उसका पूर्ण रूप से अनुपालन करना हम भारतीयों का प्रथम कर्तव्य है। यह संविधान
दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जो 22 भागों में विभजित है, इसमे 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं। भारतीय संविधान की दो प्रतियां
हिंदी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गईं। इस संविधान को तैयार करने में 2 साल, 11 माह और 18 दिन का समय लगा। इस संविधान की जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
किन्तु दोस्तों, जैसा कि हम सभी जानते हैं किसी भी अच्छे से
अच्छे कार्य में भी कुछ किन्तु परन्तु वाले प्रश्न भी खड़े हो ही जाते हैं। हमारे
संविधान को लेकर भी कुछ लोगों के मन में प्रश्न था कि आखिर संविधान को तैयार होने
में इतना समय क्यों लगा।
डॉ.बी.आर.आंबेडकर
को प्रारूप समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करने के लिए
13 समितियों का गठन किया गया, जैसे प्रक्रिया समिति, वार्ता समिति, संचालन समिति कार्य समिति, संविधान समिति, झंडा समिति आदि का
निर्माण किया गया । प्रारुप समिति में जिन सात सदस्यों को नामांकित किया गया, एन.
गोपालस्वामी आयंगर, अलादी कृष्णास्वामी अय्यर, मोहम्मद सादुल्ला, के. एम. मुंशी, बी. एल. मिल और डी. पी.
खेतान थे। उनमें एक ने सदन
से इस्तीफा दे दिया है और उनकी जगह अन्य सदस्य आ चुके हैं l एक सदस्य की इसी बीच
मृत्यु हो चुकी है और उनकी जगह कोई नए सदस्य नहीं आए हैं l एक सदस्य अमेरिका में
थे और उनका स्थान भरा नहीं गया l एक अन्य व्यक्ति सरकारी मामलों में उलझे हुए थे
और वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं कर रहे थे l एक-दो व्यक्ति दिल्ली से बहुत
दूर थे और सम्भवत: स्वास्थ्य की वजहों से कमेटी की कार्यवाहियों में हिस्सा नहीं
ले पाए l
जनवरी 1948 में
भारत के संविधान का पहला प्रारूप चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया। 4 नवंबर, 1948 को चर्चा शुरू हुई और 32 दिनों तक चली। इस अवधि के दौरान 7,635 संशोधन प्रस्तावित किए गए जिनमें से 2,473 पर विस्तार से चर्चा
हुई। 2 साल, 11 महीने और 18 दिनों तक संविधान सभा की बैठक
हुई जिस दौरान संविधान को अंतिम रूप देने में डॉ. अंबेडकर की अहम भूमिका रही ।
थोराट ने कहा कि
भारत के संविधान को किसी और देश के संविधान की नकल कहना ठीक नही होगा। उन्होंने
कहा कि मतों व विचारों, भाषाओं संस्कृतियों की एक देश से दुसरे देश में
आवाजाही होती रहती है । संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने समाज के
निचले तबकों को उपर उठाने के अलावा समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए जिस तरह से
रचनात्मक कार्य किया था वह दुनिया के लोगों के लिए भी प्रेरणा का विषय है। डा.अम्बेडकर ने
जिन उद्देश्यों को लेकर संविधान निर्माण की पहल की थी वह समाज के लिए नयी मिसाल है
। भारतीय संविधान
को विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना गया।
26 जनवरी 1950 को
भारत का संविधान लागू हुआ और जिसकी बदौलत भारत एक प्रभुता संपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और
लोकतांत्रिक गणराज्य बन सका। हमारे संविधान ने हमें वो मौलिक अधिकार दिए जो हर
व्यक्ति को समानता के साथ आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता हैं।
उन्होंने बताया
कि मूल संविधान में कुल सात मौलिक अधिकार थे किन्तु 44वें संविधान संशोधन के
द्वारा सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर संविधान के
अनुच्छेद 300 (ए) के अंतर्गत कानूनी अधिकार के रूप में रखा गया, जिसके बाद भारतीय नागरिकों को छह मूल अधिकार प्राप्त हैं, जिनमें समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22), शोषण के विरुद्ध अधिकार
(अनुच्छेद 23 से 24), धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से
28), संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30) तथा
संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32) शामिल हैं। संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद 12 से
अनुच्छेद 35 के अंतर्गत मूल अधिकारों का वर्णन है और संविधान में यह व्यवस्था भी
की गई है कि इनमें संशोधन भी हो सकता है तथा राष्ट्रीय आपात के दौरान जीवन एवं
व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को छोड़कर अन्य मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा
सकता है।
अधिवक्ता राज कुमार थोराट
ने बताया कि वर्तमान समय मे भारत में 14-35 वर्ष के युवाओं की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन इन युवाओं में संविधानिक समझ की कमी है इस पहल का उद्देश्य युवाओं में
संवैधानिक समझ विकसित करते हुए,
नेतृत्व कारी क्षमता का
वर्धन करके, युवा नेतृत्व आगे बढ़ाना है l इस कार्यक्रम के
माध्यम से रैगर समाज का युवा भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों ,मूलभूत कर्तव्यों और सामाजिक विकास के लक्ष्यों के बारे में पाठ्यपुस्तक व
वास्तविकता के बीच के अंतर को अनुभव कराते हुए सीखाना है । जिससे वह समाज में जमीनी
स्तर पर कार्य करते हुए समाज की आवाज बने और देश व विश्व मे सकारात्मक परिवर्तन का
नेतृत्व करें ।
जो जागरूक नागरिक
बन जायेंगे वे जमीनी स्तर पर कार्य करते हुए समाज में हासिये के लोगों को
मौलिक अधिकार दिलाने, सतत विकासशील लक्ष्य को प्राप्त करने तथा मूल
कर्तव्य का निर्वाहन करने का कार्य करेंगे ।
कार्यक्रम के अंत
में दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मोती लाल सक्करवाल ने अधिवक्ता राज कुमार थोराट को
मोमेंटो देकर सम्मानित किया और कार्यक्रम में आये हुए सभी लोगो का धन्यवाद किया। मंच
संचालन कुशाल चन्द मौर्या ने किया l

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