Thursday, August 6, 2020

चलते रहो, चलते रहो,सही दिशा मे चलते रहो....मार्ग मिल ही जाएगा।


*तथागत गौतम बुद्ध कहते है*
*चलते रहो, चलते रहो,सही दिशा मे चलते रहो....मार्ग मिल ही जाएगा।*

*जिंदगी है तो संघर्ष हैं, तनाव है,चिंता है, ख़ुशी है, डर है,सुख है दुख है।लेकिन ये सभी अनित्य है,स्थायी नहीं हैं,परिवर्तनशील है। समयरूपी नदी के प्रवाह में सब प्रवाहमान हैं।हर परिस्थिति जरूर बदलती है।*

इसलिए कोई भी परिस्थिति चाहे ख़ुशी की हो या ग़म, कभी स्थायी नहीं होती, वह समय के अविरल प्रवाह में विलीन हो जाती है।

ऐसा अधिकतर होता है कि जीवन की यात्रा के दौरान हम अपने आप को कई बार दुःख, तनाव, चिंता, डर, हताशा, निराशा,भय, रोग आदि के मकड़जाल में फंसा हुआ पाते हैंऔर हम तात्कालिक परिस्थितियों के इतने वशीभूत हो जाते हैं कि दूर-दूर तक कहीं से भी हमें प्रकाश या आशा की किरण मात्र भी दिखाई नहीं देती। *दूर से चींटी की तरह महसूस होने वाली परेशानी हमारे नजदीक आते-आते हाथी के जैसा रूप धारण कर लेती है।* हम उसकी विशालता और भयावहता के आगे समर्पण कर *परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी हो जाने देते हैं* ।यही परिस्थिति हमारे पूरे वजूद को हिला डालती है, हमें हताशा, निराशा के भंवर में उलझा जाती है। हमे एक-एक क्षण पहाड़ सा प्रतीत होता है और हम में से *ज्यादातर लोग आशा की कोई किरण ना देख पाने के कारण हताश निराशहोकर परिस्थिति के आगे अपने हथियार डाल देते हैं।*
इसलिए यदि हम किसी भी अनजान, निर्जन दुख के सूखे रेगिस्तान मे फँस जाएँ तो उससे निकलने का एक ही उपाय है, बस हम चलते रहें,चलते रहे। यदि हम नदी के बीच जाकर अपने हाथ पैर नहीं चलाएँगे तो निश्चित ही डूब जाएंगे।इसलिए जीवन मे कभी ऐसे क्षण भी आते है जब लगता है कि बस अब तो चारों ओर अंधेरा है,अब कुछ भी उम्मीद नहीं है, *तब हमें ऐसी परिस्थिति में अपने आत्मविश्वास और साहस के साथ सिर्फ डटे रह कर मुकाबला करना चाहिए क्योंकि हर समस्या या परिस्थिति का हल होता हैं,आज नहीं तो कल होता हैं ।*

.....बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय
बहुसंख्यक लोगों का, मेजोरिटी का कल्याण हो


रेगर हंसराज की वाल से 

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