Saturday, January 16, 2021

रैगर समाज में जागरूक लोगो का हौंसला बढ़ाएं, तभी सामाजिक एकता और समाज विकास होगा

 


दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l  वर्तमान समय में रैगर समाज से जुड़े मुददों की बात की जाये तो,  मन को व्यथित करने वाले गंभीर परिणाम निकल कर सामने आयेगें, जो समाज के हर एक व्यक्ति को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देगें । रैगर समाज में न तो मेहनत करने वालो की  कमी है और न ही ईमानदार लोगो की कोई कमी है, लेकिन फिर भी समाज आज विकास की मुख्य धारा से कोसों दूर हैं और विकास के मामले में अन्य समाजो से पिछड़ता जा रहा है l

सत्य बहुत ही कड़वा होता है, सत्ता और कुर्सी की चाह में हमारे सामाजिक नेता यह भी भूल गये कि वे क्या कर रहे हैं ??? हमारे समाज सेवको ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की चाह में, महापुरुषों की विचारधारा को कमजोर करने के षड़यंत्र के तहत समाज के लोगो को आपस में लड़ा कर पूरे समाज को कई टुकड़ों में बांट कर रख दिया है । जब समाज टुकड़ों में बंट जाये वहां समाज विकास की बात करना बेईमानी ही होगा और कुछ नही । हमारे सामाजिक नेताओं को यह बात अच्छे से समझ लेनी चाहिये कि समाज को तोड़ कर राज कर पाना मुमकिन नही हैं और अगर सामाजिक नेता इस बात को स्वीकार नही कर पा रहे हैं, तो हम सभी को अब खुद ही पहल करनी पड़ेगी और सामाजिक नेताओ का बहिष्कार करना होगा l

समय बदल रहा है, लोग बदल रहे हैं और लोगों की विचारधारायें भी बदल रही हैं, समाज के लोग अब सामाजिक नेताओं की हर एक चाल को समझने लगे है और सोशल मिडिया पर समाज के कुछ लोग सामाजिक संगठनो की कार्यशैली, सामाजिक न्याय, सामाजिक भाईचारे के मुद्दे पर धारदार व स्पष्टता से बोलते दिखाई पड़ रहे है, यह कोई साधारण बात नहीं है l समाजहित की सोच वालो की जो यह एकता बन रही है, इसका नतीजा क्या होगा ये तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन ये एकता कई तरह की संभावनाओं के दरवाजे खोलने में सक्षम है l

अंत में अब सवाल ये उठता है कि सोशल मिडिया पर रैगर समाज में चल रही सामाजिक संगठनो की कार्यशैली, सामाजिक न्याय, सामाजिक एकता के मुद्दे पर हो रही चर्चा के घटनाक्रम को कैसे देखा जाना चाहिये? निश्चित ही सामाजिक विद्वानों और विश्लेषकों के इसे देखने व समझने के अपने-अपने तर्क और नजरिए होंगे l ऐसी स्थिति में एक सवाल यह भी उठता है कि क्या रैगरों में वास्तविक तौर पर समाजहित की भावना, सामाजिक एकता, बंधुता, व्यापकता आदि गुणों की वृद्धि होगी ? जागरूकता और एकता ही किसी परिवार व समाज की सच्ची पूंजी है। जागरूकता व एकता विहीन परिवार और समाज कभी तरक्की नहीं कर सकता है ।

आज समाज के हर जागरूक नागरिक पर समाज विरोधी लोगों की नजर है, वे उस व्यक्ति को प्रताड़ित कर रोकने की कोशिशें कर रहे हैं। अगर हम सभी उस व्यक्ति का हौंसला नहीं बढ़ाया तो समाज का उद्धार होना मुश्किल है, क्योंकि हर परिस्थिति में वहीं समाज की आवाज बनता है। हमें समाज में एकता के साथ हर घर में जागरूक नागरिक तैयार करने होंगे।

1 comment:

  1. मेरा विचार है कि उन सभी राज्यों से भी राष्ट्रीय नेतृत्व/प्रतिनिधित्व होना चाहिए,जहां रैगर रहते हैं ।
    पदाधिकारी और सहयोगी उन सभी जगह का दौरा करें तथा उन्हें भी महासभा/पंचायत या रैगर संगठन में शामिल करने के लिए प्रेरित करें और उन्हें राष्ट्रीय/स्थानीय जिम्मेदारी दें ।
    ताकि रैगर कल्याण अधिक से अधिक हो सकें ।

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