सामाजिक विषयो पर
विचार विमर्श के दौरान माननीय सुरेन्द्र पाल रातावाल (पूर्व मंत्री दिल्ली सरकार) ने
कहा कि क्या अखिल भारतीय रैगर महासभा के उद्देश्य सिर्फ इतना है कि चुनाव कराओ और
जीतकर आने के बाद तीन साल तक समाज के पैसो से सामाजिक कार्यक्रम करवाओ और उनमे जाकर
माला पहनो और पगड़ी बंधवाओ ? अगर अखिल भारतीय रैगर महासभा सच में रैगर समाज का
विकास करना चाहती है तो महासभा के पदाधिकारियों को अपनी कार्यशैली में सुधार करना
होगा ।
उन्होंने अखिल
भारतीय रैगर महासभा की भूमिका पर सवाल उठाते हुए भारतवर्ष में कहीं पर भी रैगर
समाज के लोगों के साथ भेद भाव, अन्याय, शोषण, अत्याचार, उत्पीड़न
अस्पृश्यता आदि की स्थिति में होने वाली घटनाएं घटने पर, क्या अखिल भारतीय रैगर
महासभा के द्वारा पीड़ित लोगो को न्याय दिलवाने हेतु संरक्षक के रूप में खड़े होकर पुलिस
में सिविल या आपराधिक
मुकदमे की शिकायत कायम करके या करवा करके यथा समय दोषियों के खिलाफ उचित कठोर क़ानूनी
कार्यवाही करवाई गई ?
क्या कभी अखिल
भारतीय रैगर महासभा ने समाज के लोगों के हितों के बारे में सरकार द्वारा नियोजित
योजनाओ से लाभान्वित करवाने के लिए सभाओं, सम्मेलनों, कैम्पो, सेमिनारों, कार्यशालाओं, विचारशालाओं व प्रशिक्षणशालाओं
आदि का आयोजन किया ? यदि ऐसा किया गया है तो क्या आपके पास कोई आंकड़ा है कि इतने
लोग अखिल भारतीय रैगर महासभा के द्वारा किये गए प्रयासों से लाभान्वित हुए ?
क्या कभी अखिल
भारतीय रैगर महासभा ने रैगर समाज के युवाओ को सक्षम बनाने के लिए जरूरी संसाधन
जुटाकर उनके लिए स्थायी, अस्थायी, स्वरोजगार और व्यापार हेतु लघु उद्योग इकाईयों
की स्थापना करना व उनको जरूरी ज्ञान, प्रशिक्षण एवं अनुदान या लोन प्रदान करने का कार्य किया ? क्या अखिल भारतीय
रैगर महासभा का पदाधिकारी बता सकता है कि रैगर समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े इतने
व्यक्तियों को महासभा ने समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया ? क्या ये सब अखिल
भारतीय रैगर महासभा के कार्य नहीं है ?
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