Monday, August 24, 2020

दिल्ली प्रांतीय रैगर पंचायत का गौरवशाली इतिहास रहा है उस पर विचार करने का समय आ गया है

 

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया) l  पिछले कुछ दिनों से दिल्ली प्रांतीय रैगर पंचायत, जो दिल्ली में हम सबकी मातृ-संस्था है, पूरे स्वरूप के साथ मेरे मन और मस्तिष्क में छाई रही है । उसकी संपूर्ण यात्रा मानों सजीव हो उठी, उस कालखंड की भी जब मैं नहीं था लेकिन संस्था थी जिसके बारे में मैंने या तो पढ़ा था, अथवा अपने बुजुर्गों के मुहं से सुना था, कि यह हमारी मातृ-संस्था पंचायत तब भी थी जब इसका संवैधानिक स्वरूप नहीं था, और तब भी रहेगी, जब मैं नहीं रहूंगा और यह दुनिया में अपने चरम शीर्ष पर होगी । नई सृष्टि में नए स्वरूप के साथ उभरेगी?  इन्हीं तमाम बातों में विचार करते करते अबतक का ज्यादातर वक्त बीता।

दिल्ली प्रांतीय रैगर पंचायत के पूर्व सम्माननीय कर्णदारों में श्री पटेल मोहन लाल कांसोटिया जी, चो. पदम सिंह सक्करवाल जी, चो. ग्यारसा राम चांदोलिया जी, चो. कन्हैया लाल रातावाल जी, श्री चन्द्रभान तोणगरिया जी, श्री भौंरी लाल शास्त्री (कनवाड़िया) जी, श्री खुशहाल चन्द मोहनपुरिया जी, श्री किशन लाल कुरड़िया जी, श्री कल्याण दास पीपलीवाल जी, श्री गंगा प्रसाद धूड़िया जी, श्री सुआ लाल कुरड़िया जी, श्री नानक चाँद धनवाड़िया जी आदि ने रैगर समाज को एक गौरवशाली इतिहास दिया है l

हम प्राचीन काल से रैगर समाज की शान को बरक़रार रखते आये हैं लेकिन वर्तमान समय के साथ हम क्या-क्या करते हैं, किस तरह हम इस आदर्श परम्परा को धुंधलाते हैं, किस तरह हम अपनी संस्कृति को शर्मसार करते हैं, कब तक हम संस्कृति एवं परम्परा का यह अपमान एवं अनादर देखते रहेंगे? कब हम सुधरेंगे? कब टूटेगी हमारी यह मूर्छा? नैतिकता का तकाजा है कि हमारा कोई आचरण ऐसा न हो जो किसी की भावना को ठेस पहुंचाए l

माना जाता है कि घटनाएं तो प्रकृति का अंग हैं । प्रश्र यह नहीं है कि कौनसी घटना कब घटती है और उसका निमित्त क्या है लेकिन मनुष्य वह है जो उसकी नकारात्मकता से ऊपर उठकर ऊर्जा को सकारात्मकता में बदले वही मानवता है, और वही समाजसेवा। नकारात्मकताएं सदैव विघटन पैदा करती हैं, अहंकार और आक्षेप की वृद्धि करती हैं। जिसका प्रभाव भविष्य पर पड़ता है अतीत की एक एक घटना, हमारा मार्ग प्रशस्त करती है बशर्तें हम घटनाओं पर न जाए केवल परिणाम से प्रेरणा लेकर आगे बढ़े । हमें भी यही करना है । स्वयं को तैयार करना है, आगे बढऩे की योजनाएं बनाना है ।

सामाजिक विकास के मार्ग में विषमताएं आती हैं, उनसे विचलित नहीं होना चाहिए l विकास की यात्रा को कंटक और कंकड़ बाधित करने का प्रयत्न करते हैं । विपरीत दिशा में ले जाने का प्रयास करते हैं । विपरीत प्रतिक्रिया देने के बजाए सब अपने है ऐसा विचार कर हमें उन्हें समझाना होगा उनसे फेस टू फेस चर्चा करनी होगी मुझे विश्वास है सब ठीक हो जायेगा । प्रवाह के अनुकूल तो जीना बहुत सहज होता है प्रवाह के विपरीत जीने की क्षमता रखने वालों ने ही आजतक इतिहास बनाए हैं तब किसी एकाध घटनाक्रम, कोई एकाध स्मृति से हमारी यात्रा में गतिरोध कैसे आ सकता है, इसलिए हमें आगे बढऩा है, दो गुने उत्साह से आगे बढऩा है । भविष्य का स्वर्णिम पल आने वाली उपलब्धियां इंतजार कर रही हैं और समाज को भी इंतजार करना अभी बाकी है तब बिना एक क्षण विलम्ब किए हमें पूरी कार्य योजना बनाकर आगे बढऩा है ।

समाज के आगामी विभिन्न आयोजनों में हमे संकल्प लेना है कि हम आधुनिक युग के अनुरुप संगठित हों, शालीन बनें, मर्यादा और आदर्श पर चलें और शक्तिशाली बने । सब व्यक्तिगत मतभेद भुलाकर समाज को आगे बढ़ावे । व्यक्तिगत अहं, प्रतिष्ठा, वर्चस्र्व को छोड़कर सही दिशा में विचार मंथन शुरु कर समाज की चिंता करें । शक्तिशाली केवल शरीर की नहीं बल्कि मन की शक्ति, बुद्धि का बल, अर्थ की शक्ति, संगठन की शक्ति आदि सभी प्रकार की शक्तियां अर्जित करें । तभी हमारा समाज, हमारा परिवार सम्मानित होगा यही आज की सबसे बड़ी जरुरत है । यह जरुरत व्यक्तिगत और पारिवारिक ही नहीं हमारी मातृ-संस्था दिल्ली प्रांतीय रैगर पंचायत को भी है ।

दिल्ली प्रांतीय रैगर पंचायत का वैभव बढ़े, प्रतिष्ठा बढ़े और इतनी सक्षम बने कि समूचे रैगर समाज का मार्गदर्शन कर सके जो अतीत में वह करती रही है । वर्षों से हमारे रैगर समाज का जो गौरवशाली इतिहास रहा है उस पर ढंग से विचार करने का अब समय आ गया है ।

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