Saturday, June 15, 2019

दिल्ली में मंत्री जी से मिलने की आस हुई निराश - एक परदेशी की अभिव्यक्ति



दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया) l दिल्ली की हर यात्रा अपने आप में एक अद्वितीय यादों की महक छोड़ रही है l पिछले सप्ताह व्यस्त कार्यक्रम की वजह से मंत्री जी से मुलाक़ात नहीं हो पायी थी l सोमवार को हमने फोन पर मंत्री जी से  मिलने का प्लान बनाया l बीकानेर से बस द्वारा चल दिए दिल्ली मंत्री जी से मिलने, रास्ते में बस लेट हो गई और दिल्ली धौलाकुआ पहुँचते पहुँचते रात हो गई l मंत्री जी मिलने का प्रोग्राम रद्द हो गया l मंत्री जी के पीये से बात हुई उन्होंने कहा अगले दिन आ जाना l रात में अपने दोस्त के यहाँ ठहरे l
अगले दिन सवेरे जल्दी उठे और नहा-धोकर तैयार हुए जल्दी जल्दी नाश्ता किया क्योंकि मन में उत्कंठा थी मंत्री जी मिलने की और फोन पर टैक्सी बुलाकर दोस्त के घर से मंत्री जी के आवास चल दिए l अब मंत्री जी के आवास का रास्ता तय करना है, रास्ते में याद आया मंत्री जी के पास जा रहे है तो फूलो का बुग्गा तो होना चाहिये, सो रास्ते में फूलो की दुकान देख टैक्सी ड्राईवर से गाड़ी रुकवाई और एक बढिया सा फूलो का बुग्गा खरीद लिया l थोड़ी देर में मंत्री जी के बंगले पर पहुँच गए l
मंत्री जी के बंगले पर स्वागत कक्ष में पहुंचे और बताया कि हमे मंत्री जी से मिलना है वहां मौजूद स्टाफ ने बताया कि मंत्री जी अभी सोये हुए है आप बैठ जाय l मत्रीजी से मिलने की आस में बैठे-बैठे काफी समय हो गया तो हमने सोचा थोडा लघुशंका को हो आये, हम स्वागत कक्ष के स्टाफ को बोलकर बाहर चले गए l वापस आये तो पता चला मंत्री जी जाने वाले है हम ख़ुशी में झूम उठे कि अब मंत्रीजी से मुलाकात होगी l लेकिन ये क्या मंत्री जी अपने कक्ष से बाहर आये और हमसे बोले कि भाई क्षमा करना मेरा जरुरी मीटिंग की व्यस्तता का कार्यक्रम होने की वजह से मैं आप को समय नहीं दे सकता l बेचारा परदेशी 5 घंटे इंतजार करने के बाद भी मंत्री जी से अपने मन की बात कह न सका l परदेशी ने कविता की कुछ पंक्तियाँ लिख डाली जो इस प्रकार है :-
इंतजार का समय कैसे पंख लगा कर उड़ गया,
हमे बड़ा उत्साह था मंत्रीजी आपसे मिलने का l
कुछ जानने का, बतियाने का, मंद-2 मुस्काने का,
परदेशी से बिना मिले निकल गए मंत्री बुलेट जैसे ll


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