महिलाओ की वर्तमान
हालात - गौरतलब है कि आजाद भारत
में महिलाएं दिन-प्रतिदिन अपनी लगन, मेहनत एवं सराहनीय कार्यों द्वारा राष्ट्रीय पटल पर अपनी पहचान बनाने में
कामयाब हुई हैं। मौजूदा दौर में महिलाएं नए भारत के आगाज की अहम कड़ी दिख रही हैं।
लंबे अरसे के अथक परिश्रम के बाद आज भारतीय महिलाएं समूचे विश्व में अपने पदचिन्ह
छोड़ रही हैं। मुझे कहने में कोई गुरेज नहीं है कि पुरुष प्रधान रूढ़िवादी समाज
में महिलाएं निश्चित रूप से आगामी स्वर्णिम भारत की नींव और मजबूत करने का हर संभव
प्रयास कर रहीं हैं, जो सचमुच काबिले
तारीफ है। हां, यह जरूर है कि
कुछ जगह अब भी महिलाएं घर की चारदीवारी में कैद होकर रूढ़िवादी परंपराओं का बोझ ढो
रही हैं। वजह भी साफ है, पुरूष प्रधान
समाज का महज संकुचित मानसिकता में बंधे होना।
संवैधानिक अधिकार
एवं आधार -
भारतीय संविधान
सभी भारतीय महिलाओं को समान अधिकार (अनुच्छेद 14), राज्य द्वारा कोई भेदभाव नही करने (अनुच्छेद 15(1)),
अवसर की समानता (अनुच्छेद 16), समान कार्य के लिए समान वेतन (अनुच्छेद 39(घ)) की गारंटी देता है। इसके अलावा यह महिलाओं
एवं बच्चों के पक्ष में राज्य द्वारा विशेष प्रावधान बनाए जाने की अनुमति देता है
(अनुच्छेद 15(3), महिलाओं की गरिमा
के लिए अपमानजनक प्रथाओं का परित्याग करने (अनुच्छेद 15(ए)ई) और साथ ही काम की उचित एवं मानवीय परिस्थितियां
सुरक्षित करने, प्रसूति सहायता
के लिए राज्य द्वारा प्रावधानों को तैयार करने की अनुमति देता है (अनुच्छेद 42)।
भारत सरकार ने
सन् 2001 को महिला सशक्तीकरण वर्ष
घोषित किया था और सशक्तीकरण की राष्ट्रीय नीति भी सन 2001 में ही पारित की थी। भारत सरकार ने घरेलू हिंसा पर रोकथाम
के लिए 26 अक्टूबर 2006 में महिला सरक्षण एक्ट भी बनाया।
ऐतिहासिक
स्वर्णाक्षर -
1 - आजाद भारत में
सरोजिनी नायडू संयुक्त प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल बनी।
2 - सन् 1951 में डेक्कन एयरवेज की प्रेम माथुर प्रथम
भारतीय महिला व्यवसायिक पायलट बनी।
3 - सन् 1959 में अन्ना चाण्डी केरल उच्च न्यायलय की पहली
महिला जज बनी।
4 - सन् 1963 में सुचेता कृपलानी पहली महिला मुख्यमंत्री
(उत्तर प्रदेश) बनी।
5 - सन् 1966 में कमलादेवी चट्टोपाध्याय को समुदाय नेतृत्व
के लिए रेमन मैग्सेसे अवार्ड दिया गया।
6 - सन् 1966 में इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला
प्रधानमंत्री बनी।
7 - वर्ष 1972 में किरण वेदी भारतीय पुलिस सेवा में भर्ती
होने वाली पहली महिला बनी.
8 - वर्ष 1979 में मदर टेरेशा नोबेल शांति पुरस्कार पाने
वाली पहली महिला थी।
9- साल 1997 में कल्पना चावला पहली महिला अंतरिक्ष यात्री
बनी।
10 - वर्ष 2007 में प्रतिभा देवी सिंह पाटिल की प्रथम महिला
राष्ट्रपति बनीं।
11 - साल 2009 में मीरा कुमार लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष
बनीं।
12 - साल 2017 में निर्मला सीतारमन पहली पूर्णकालिक महिला
रक्षामंत्री बनी l
चलो बदलाव करें -
निष्कर्ष यह है
कि महिलाओं के बेहतरीकरण के लिए हम सबको अपनी कुत्सित एवं रूढ़िवादी मानसिकता से
बाहर निकलना होगा। उन्हें सम्मान के साथ-साथ शिक्षा, व्यवसाय, नौकरी व अन्य सभी
स्थानों पर बराबरी देना होगा। गौरतलब है कि भारतीय महिलाओं ने राष्ट्र की प्रगति
में अपना अधिकाधिक योगदान देकर राष्ट्र को शिखर पर पहुंचाने हेतु सदैव तत्पर रही
हैं। सच पूछो तो नारी शक्ति ही समाजिक धुरी और हम सबकी वास्तविक आधार हैं। महिलाओं
के उत्थान के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही नीतियों में पूर्ण सहयोग देकर उसको
परिणाम तक पहुंचाना होगा। युगनायक एवं राष्ट्र निर्माता स्वामी विवेकानंद जी ने
कहा था - " जो जाति नारियों का सम्मान करना नहीं जानती, वह न तो अतीत में उन्नति कर सकी, न आगे उन्नति कर सकेगी।" हमें भारतीय
सनातन संस्कृति के "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता" धारणा
को साकार करते हुए महिलाओं को आगे बढ़नें में सदैव सहयोग करना चाहिए।
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