दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l गोपाल किरन समाजसेवी संस्था, ग्वालियर द्वारा पहली बार अंतर्राष्ट्रीय महिला
दिवस सप्ताह के तहत सेमीनार एवं महिला समान कार्यक्रम का आयोजन कम्पू रोड, सेंट्रल बैक के
ऊपर लश्कर ग्वालियर मै किया गया । इस
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती संगीता शाक्य, डिवीजनल कमांडेन्ट होम गार्ड, ग्वालियर एवं चम्बल सभाग, ग्वालियर, अध्यक्षता
श्रीमती अलका श्रीवास्तव,अध्यक्ष,लक्षमी बाई महिला सहकारी बैंक लश्कर ग्वालियर ने की।
उन्होंने इसके साथ यह भी कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि पुरुषों के साथ समानता के संघर्ष में स्त्रियों ने बहुत लंबा रास्ता तय किया है। वे अब मानसिक मजबूती, वैचारिक दृढता के साथ आर्थिक स्वतंत्रता भी हासिल करने लगी हैं। लेकिन यह लड़ाई अभी अधूरी है। स्त्रियों की असमानता की जड़ें पुरुषों पर आर्थिक निर्भरता के अलावा उनकी बेपनाह भावुकता में भी है। सदियों से पुरुष सत्ता उनकी इस भावुकता से खेलती रही है। झूठी तारीफें कर हजारों सालों तक दुनिया के तमाम धर्मों और संस्कृतियों ने योजनाबद्ध तरीके से उनकी मानसिक कंडीशनिंग की हैं। उन्हें क्षमा, त्याग, करुणा, प्रेम, सहनशीलता और ममता की प्रतिमूर्ति बताकर। पुरुषों के साथ उनकी बराबरी की बात कोई नहीं करता। या तो वे देवी हैं या मज़े की चीज़। अगर स्त्रियां धर्मों की नज़र में इतनी ही ख़ास थीं तो यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि किसी भी धर्म में तमाम अवतार, धर्मगुरु, पैगंबर और नीतिकार पुरूष ही क्यों हैं ? क्यों पुरूष ही आजतक तय करते रहे हैं कि स्त्रियां कैसे जिएं ? उन्होंने तो यहां तक तय कर रखा है कि मरने के बाद स्वर्ग या जन्नत में जाकर भी अप्सरा या हूरों के रूप में उन्हें पुरूषों का दिल ही बहलाना है। हमारे नीतिशास्त्र स्त्रियों के व्यक्तित्व और स्वतंत्र सोच को नष्ट करने के पुरुष-निर्मित औज़ार हैं जिन्हें अपनी गरिमा मानकर स्त्रियों ने स्वीकार ही नहीं किया, सदियों से स्त्रीत्व की उपलब्धि बताकर आने वाली पीढ़ियों को हस्तांतरित भी करती आई हैं।अब दुनिया की आधी, श्रेष्ठतर आबादी को अपनी भावुकता से मुक्त होकर यथार्थ की जमीन परखनी होगी। उन्हें महिमामंडन की नहीं, स्त्री-सुलभ शालीनता के साथ स्वतंत्र सोच, स्वतंत्र व्यक्तित्व और ज़रा आक्रामकता की ज़रुरत है। स्त्री का जीवन कैसा हो, इसे तय करने का अधिकार स्त्री के सिवा किसी और को नहीं है। महिलाओं का सम्मान करने के लिए किसी महिला दिवस का होना जरूरी नहीं है। महिलाओं का सम्मान हर रोज, हर दिन, हर पल होना चाहिए और ये सम्मान सिर्फ बातों में नहीं बल्कि हम लोगों के दिल में होना चाहिए!

इस अवसर पर
कार्यक्रम मै प्रमुख महिलाओं को सम्मानित किया जिसमे कि सिस्टर रम्या प्रिंसिपल, कार्मेल,कॉन्वेंट स्कूल,पदमजा शंकर,अलका श्रीवास्तव
बेकिंग, संगीता शाक्य बेहतर
प्रशासन सेवा के लिए रिंकू शर्मा, परिवहन विभाग, ग्वालियर , सुनीता गौतम
समाजसेवा ओर बहुजन वर्ग के कार्यो को प्रोत्साहित करने के लिए,श्रीमती सुनीलम चतुर्वेदी,विमलाऑगस्टिन,जहाँआरा (मीडिया)डॉ.श्रीमती मधु लक्ष्मी शर्मा, विभागाध्यक्ष ,शा. के आर .जी. महाविद्यालय, ग्वालियर), ज्योति दौहरे(सब इंजीनियर को साहित्यम में , मीनफ खान (आशा कार्यकर्ता स्वास्थ सेवाओं ),श्रीमती अनीता बनर्जी(आंगनबाड़ी सहायिका),श्रीमती नारायणी निगम,मंजू मसोरिया, श्रीमती ओमवती खरे,डॉ. राजकुमारी
(अधीक्षिका छात्रवास), श्रीमती अनीता
छावई ( एडवोकेट भोपाल),विनीता श्रीवास्तव,बबीता कुशवाह,सीमा शर्मा,नीतू सिंह गुप्ता
, नम्रता सक्सेना, राजबाला शर्मा,डॉ. दुर्गावती,मीनाक्षी भसीन , शशि किरन,
प्रियंका सिंह , आशा गौतम, एडवोकेट सामाजिक
कार्यकर्ता,आरती अग्रवाल, श्रीमती मीना सिंह (बीएसी अम्बाह), सोम जैन, वर्षा पंडित, रूपरेखा पंडा, एडवोकेट,अर्चना सगर डाँ रश्मि चौधरी, (के.आर.जी.कालेज,ग्वालियर,) मीनाक्षी गोयल,शुभ्रा घोष, सुनीता रामकली सरला दास,
मीनाशर्मा, मालनी कारखेडकर, रजनी मीना,निशा श्रीवास्तव को दिया गया । कार्यक्रम
में कोविड-19 संबंधी
दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए उनको
सेनीटईज किया गया। मास्क प्रदान किया गया। कार्यक्रम पे बैक टू सोसाइटी के लिए
प्रेरित करने वाले हम सबके प्रेरणाश्रोत, उर्जाश्रोत, समाज कार्यों के
नायक और चिंतक संस्था के अध्यक्ष श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ने फिर से एक पहल की है।
यह कार्यक्रम संगीता शाक्य जी के संरक्षकत्व में,श्रीप्रकाश सिंह
निमराजे के नेतृत्व सचिव जहाँआरा
मार्गदर्शन में गोपाल किरन समाज सेवी संस्था द्वारा ग्वालियर में प्रथम
बार महिला सप्ताह का आरंभ किया गया है।
ऐसी महिलाओं को पहचान दिलाना जिनको अपने कामो का महत्व नहीं मिला है। कार्यक्रम का
संचालन ज्योति दोहरे ओर अर्चना सागर ने सयुक्त रूप से किया।