बन दीपक जला अन्धेरे में,
जो मुझे रौशनी देता था l
एक फ़रिश्ता ऐसा मैंने,
अपने पिता के रूप में देखा
था ll
साधारण से दिखने
वाले,परिश्रमी, एक अद्भूत सेवाभाव व्यक्तित्व के मालिक थे मेरे बाबा (पिताश्री) । खादी
का धोती-कुर्ता पहनते थे l खाने पीने और अच्छा पहनने के शौकीन थे । आज के दिन 27
दिसम्बर 1969 को प्रात: मेरे बाबाजी (पिताश्री) श्रवण लाल गाड़ेगांवलिया जी का 35
वर्ष की उम्र में असामयिक निधन हुआ था । आज मेरे बाबा (पिताश्री) के लिए मन बहुत
उदास है, उनको मृत्युलोक से देवलोक
गए आज 50 साल हो गये । लेकिन कभी कभी लगता है जैसे अभी-अभी की तो बात
है l फिर भी यादों में, बातों में,
जीवन के हर क्षण में उनकी कमी और ज़रूरत महसूस
होती है । यूँ तो ये शाश्वत नियम है; जिस प्राणी ने जन्म लिया
है, उसे मृत्यु को प्राप्त होना ही है, लेकिन असमय हुई मृत्यु असहाय हो जाती है ।
आज का यह दिन मैं
जीवन में कभी नहीं भुला सकता, मगर उनके आदर्श और सिद्धान्त तथा आम जन के प्रति उनकी
सकारात्मक सोच हमे हमेशा प्रेरित करती है l हम आपके दिए हुए आदर्शो और दिखाए हुए
रास्तो पे चल रहे हे, फिर भी हम भूलवश कही भटक जाये, तो आप जहा भी हो वहां से परिवार
पर अपनी अनुभूति हमेशा बनाये रखना !! आपका स्नेह और आशीर्वाद हम पर हमेशा बना रहे।
बाबा जी आप दूर रहकर भी
सदा हमारे पास हैं,
हमारे दिलो दिमाग में सदा
आपका एहसास है,
आपकी स्मृतियां हमारी
धरोहर हैं,
आपके आदर्श हमारे मार्गदर्शक
हैं,
आपके मार्गदर्शन आपके
आदर्श,
आपका आशीर्वाद आज भी
हमारे साथ है l
पूज्यनीय बाबा (पिताश्री)
जी की 50वीं पुण्यतिथि पर हम सहपरिवार सजल नेत्रों से सादर श्रद्धांजलि अर्पित
करते है और आपको सादर कोटि-कोटि नमन करते है l
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