Tuesday, August 10, 2021

भारतीय सनातन संस्कृति का अभिन्न अंग जनजातीय समुदाय

 दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l भारतीय शाश्वत सनातन धर्म एवं संस्कृति का कोई संस्थापक या प्रारंभ काल का उल्लेख  कहीं नहीं मिलता। यह सनातन संस्कृति जहाँ व्यक्ति के मौलिक स्वतंत्र चिन्तन -मत के प्रति उदार है तो वहीं बहुलतावादी सांस्कृतिक जीवटता के इतिहास को संजोकर अनंत सागर की तरह प्रवाहित हो रही है। सभी में ईश्वर का दर्शन करने वाली यह संस्कृति है। अपने मौलिक सिद्धांतों के आधार हर काल में ऐसे लोग खड़े होते गए जिन्होंने भेदभाव वाली किसी भी कुरीति का न केवल विरोध किया बल्कि अपने प्रयत्नों से सभी को सम्मान देने वाली नई व्यवस्था निर्मित करने का प्रयास किया। अनेकानेक षड्यंत्रों, आक्रमणों, कुठाराघातों के बावजूद भी यह अपनी महत्ता को बरकरार रखे हुई है। सनातन -हिन्दू धर्म का जनजातीय समाज  इस महान संस्कृति परंपरा का अभिन्न अंग रहा  है। यह अलग बात है कि सभ्यताओं के विकास एवं लगातार आक्रमणों के कारण जनजातीय समाज के स्थान परिवर्तन एवं परम्पराओं, संस्कृति, विवाह, रीतिरिवाज, पूजा पद्धति, बोली एवं कार्यशैली में भले ही आंशिक अन्तर दिखता हो।  किन्तु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सनातन हिन्दू समाज की जनजातीय एवं गैर जनजातीय इकाइयों का मूल तत्व एवं केन्द्र हिन्दुत्व की धुरी ही है।  वैदिक साहित्य की ओर यदि हम दृष्टिपात करें तो ऋग्वैदिक कालीन समाज जनजातीय समाज के स्वरूप के साथ ही आगे बढ़ रहा था। तथा आज भी यदि हम किसी भी जनजातीय समाज में देखें तो यह साफ-साफ परिलक्षित होता है कि उनकी पूजा पद्धतियों में भगवान शिव का त्रिशूल, डमरू, स्वास्तिक, देव एवं देवी की उपासना, श्रीफल नारियल, तुलसी, तांत्रिक क्रियाओं में नींबू-मिर्च, गोबर से लिपाई-पुताई इत्यादि के प्रयोग होता है। क्या यह हिन्दू समाज से अलग अस्तित्व को दर्शाते हैं?

जनजातीय समाज द्वारा जिन देवताओं को महायदेव, ठाकुरदेव, बूढ़ादेव, पिलचूहड़ाम के स्वरूप में स्मरण एवं पूजन करते हैं , उन्हीं देवताओं को गैर जनजातीय सनातन हिन्दू धर्मावलम्बी समाज शिव, महेश, नीलकंठ आदि नामों से जानते एवं पूजते हैं। उत्तर -पूर्व भारत में सीमांत जनजातियों की भांति मिशमिशजनजाति सूर्य एवं चन्द्रमा की पूजा दान्यी-पोलोके स्वरूप में करते हैं।  इस पर उनका मानना है कि सूर्य, चन्द्र सत्य के पालनकर्ता भगवान हैं, इसी प्रकार इसी परम्परा को अरुणाचल प्रदेश की लगभग सभी पच्चीसों जनजातियां मानती हैं।  सनातन हिन्दू धर्म में प्रकृति को माँ के स्वरूप में पूजने एवं प्रकृति के तत्वों भू, जल, अग्नि, आकाश, सूर्य, चन्द्र, नदी-तालाब, समुद्र, वृक्षों यथा पीपल, नीम, तुलसी, आम, गुग्गुल, बरगद इत्यादि की पूजा करने की परम्पराएं अनवरत चली आ रही हैं। क्या यह सब हमारी जनजातीय संस्कृति के अभिन्न अंग एवं मूलस्वरूप को नहीं दर्शाती हैं?

वर्तमान में हमारे जनजातीय समाज में कुल देवी-देवताओं के पूजन की पद्धति एवं पूजन में हवन किया जाना, हिन्दुत्व की पूजन प्रक्रिया का हिस्सा एवं सनातन की अक्षुण्ण परम्पराओं के द्योतक हैं। चाहे जनजातीय समाज द्वारा नागों की पूजा करना एवं उनके भित्तिचित्र, शैलचित्र को उकेरना हो, वह आज भी गैर जनजातीय समाज में नागपंचमी के त्यौहार के रुप में मनाया जाता है तथा सनातन धर्मावलम्बी नाग देवता की पूजा कर अपने घरों के मुख्य द्वार में नाग देवता का प्रतीकात्मक चित्रण कर उनसे लोकमंगल की कामना करते हैं, यह हमारी विशुद्ध सांस्कृतिक विरासत ही तो है, जिसे सनातन हिन्दू समाज का प्रत्येक समाज बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाता है  । यदि हम आधुनिक इतिहास के बोध से अलग होकर अपने सनातन कालक्रम की ओर दृष्टिपात करें तो हमारी सनातन हिन्दू संस्कृति अपनी सहचर्यता, बन्धुता एवं समन्वय के साथ विश्व की अनूठी संस्कृति की मिसाल के तौर पर स्थापित है। हमारी सनातन परंपरा में ईश्वरीय अवतारों, संत-महात्माओं की जाति देखने की परंपरा कभी नहीं रही है।

 त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के वनवास काल में चित्रकूट से दण्डकवन तथा लंका युद्ध से विजय तक के समय में उनके सहयोगी वही वनांचलों में निवास करने वाले जनजातीय समाज रहे हैं।  इस कड़ी में श्रृंग्वेरपुर के राजा निषाद राज गुह ने भगवान के वनवास की जानकारी लगते ही अपना राज्य अपने आराध्य को सौंपने की बात कही, किन्तु भगवान राम ने उन्हें मित्र की पदवी देकर अपने समतुल्य बतलाया तथा मैत्रीबोध का श्रेष्ठतम् मानक स्थापित किया। चाहे गंगा पार उतारने के समय का केवट व भगवान राम का मधुर, स्नेहिल संवाद हो या भगवान राम की भक्ति में लीन शबरी माता के जूठे बेर फल का सेवन करना एवं उन्हें माँ के तौर में प्रतिष्ठित करना हो, यह सब हमारी सनातन हिन्दू संस्कृति की ही विशेषता है। माता शबरी को आज भी समूचा हिन्दू समाज मां के रुप में पूजता है।  इससे अनूठा अनुपम उदाहरण विश्व में और कहाँ मिलेगा! यही तो हमारी सनातन संस्कृति एवं उसकी सदा प्रवाहित होने वाली स्नेह, सामंजस्य, श्रेष्ठता की अविरल धारा है।

 

सनातन संस्कृति के महानायकों  में निषादराज गुह, माता शबरी, बिरसा मुंडा, टंट्या भील, जात्रा भगत, कालीबाई, गोविन्दगुरू, ठक्कर बापा, गुलाब महाराज, राणा पूंजा, भीमा नायक, भाऊसिंह राजनेगी, राजा विश्वासु भील, तुंडा भील, रानी दुर्गावती, सरदार विष्णु गोंड जैसे अनेकानेक वीरों ने सनातन हिन्दुत्व की रक्षा एवं अपनी संस्कृति एवं राष्ट्र के लिए जीवन समर्पित कर दिया।  उस महान परम्परा के संवाहकों के वंशजों को हिन्दू समाज से अलग बतलाना एवं लगातार विभिन्न तरीकों से उनकी सांस्कृतिक विरासत से काटने के षड्यंत्र क्या हमारे जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत एवं उनके पुरखों द्वारा स्थापित परिपाटी को नष्ट नहीं कर रहे हैं? यदि जनजातीय समाज, सनातन हिन्दू धर्म से अलग होता तो क्या जनजातीय समाज के वे वीर महापुरुष जिनको आज समूचा हिन्दू समाज अपना मानता है, क्या वे स्वयं की आहुति देकर धर्मान्तरण के विरोध एवं संस्कृति की रक्षा के लिए प्राणोत्सर्ग करते?

विश्व प्रसिद्ध उड़ीसा का जगन्नाथपुरी मंदिर का इतिहास इस बात का साक्षी है कि भगवान जगन्नाथ की मूर्ति जनजातीय समाज के महान राजा विश्वासु भील को ही प्राप्त हुई थी, जहां नीलगिरि की पहाड़ियों में भगवान जगन्नाथ की स्थापना की थी. इसी तरह भुवनेश्वर के भगवान लिंगराज को बाड जनजाति के पुजारियों द्वारा स्नान करवाया जाता है. कुल्के एवं रॉथरमुंड नामक विद्वानों ने अपने विभिन्न शोधों एवं अध्ययनों से पाया कि – “कुरुबा, लंबाडी, येरूकुल, येनाडी एवं चेंचू जनजातियों के तिरुपति के भगवान वेंकटेश्वर से गहरे सम्बन्ध हैं. इसी तरह दक्षिण मेघालय में मासिनराम के निकट मावजिम्बुइन गुफाएं हैं, जहाँ गुफा की छत से टपकते हुए जल मिश्रित चूने के जमाव से शिवलिंग बना हुआ है. ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार यदि हम मानें तों यह मान्यता लगभग लगभग 13वीं शताब्दी से चली आ रही है. हाटकेश्वर धाम में जयन्तिया जनजाति समाज के लोग प्रति वर्ष हिन्दू त्यौहार शिवरात्रि महोत्सवबड़े ही हर्षोल्लास एवं उत्साहपूर्वक मनाते हैं.

वहीं वैष्णों देवी तथा केरल के भगवान अय्यप्पम से जनजातीय समाज के आत्मिक एवं आध्यात्मिक सम्बन्ध हैं. जनजातीय समाज द्वारा भगवान नरसिंम्ह की स्तंभीय शांकवीय प्रतिमाओं को पूजा जाता है तथा इसी प्रकार विन्ध्य की विभिन्न जनजातियों द्वारा हिन्दू परम्पराओं, पूजा पद्धतियों का लगभग उसी तरह पालन एवं निर्वहन किया जाता है, जिस प्रकार शेष अन्य हिन्दू समाज करता है. छ.ग. का रामनामी समाज तो भगवान राम के लिए समर्पित होने के लिए ही जाना जाता है, जिसका विस्तार छ.ग., म.प्र. तथा झारखंड तक है. रामनामी समाज पूर्णरूप राममय है, रामनामी समाज के बन्धु अपने सम्पूर्ण शरीर में राम नाम का गोदना गुदवा लेते हैं. मोरपंख धारण करना, राम संकीर्तन करना तथा राम के प्रति अगाध श्रद्धा रखने वाला यह समाज सनातन हिन्दू धर्म का वटवृक्ष है.

अक्रमणकारियों के साथ लम्बे समय तक चले संघर्ष में भारतीय समाज ने अनेकों विजय-पराजय, ध्वंस, अत्याचार, अपमान -तिरष्कार, मतान्तरण, लूटपाट को झेलाता चला आ रहा है। परन्तु अनेकों षड्यंत्रों के बावजूद भी जनजातीय समाज सनातन हिन्दू समाज का वह अविभाज्य एवं मूल अंग है, जिसके बिना सम्पूर्ण हिन्दू समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है। भारत के पूर्व से लेकर पश्चिम, उत्तर से लेकर दक्षिण, चारों दिशाओं में निवास करने वाला जनजातीय समाज सनातन हिन्दू धर्म की रक्षा एवं पालन करने वाला है। बल्कि यह कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जिस कठोरता एवं नियमबद्धता के साथ हमारा जनजातीय समाज सनातन हिन्दू धर्म का अपनी परंपराओं के अनुसार पालन एवं कार्यान्वयन करता आया है, उस अनुरूप अन्य गैर जनजातीय हिन्दू समाज थोड़ा कमतर ही सिद्ध होता दिखता है।  जनजातीय समाज विशुद्ध तौर पर सनातन हिन्दू समाज का अभिन्न अंग है जो सनातनी मूल्यों एवं धर्मनिष्ठा के लिए जाने जाते हैं।

 

Monday, August 9, 2021

ब्रेस्ट फीडिग बच्चे के सतत विकास मे सहायक है-गोपाल किरन समाजसेवी संस्था

 


रंगोली  के माधयम से हमारा लक्ष्य अंतिम बच्चे तक पहुंचना और उनकी चिंताओं और सिफारिशों को सामने लाना है ताकि वे उन चुनौतियों का सामना कर सकें ।

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l ग्वालियर - विस्व स्तनपान दिवस सप्ताह अंतगर्त  गोपाल किरन समाजसेवी संस्था ने एक कार्यक्रम  बेठक आयोजित  की गई ।  जिसमे जिला बाल अधिकार  फोरम ,चार्ट कम्युनिटी हेल्थ ग्रुप भी को भी समावेश किया गया यह कुलदीप क्लासेस थाटीपुर,ग्वालियर संयुक्त रही। जिसकी अध्यक्षता कु.  शुभ्रा घोष ( से.नि. विभागाध्यक्ष सिंधिया स्कूल) ने की। इस विशेष अवसर को यादगार बनाने के लिए रंगोली भी तैयार की गई जिसके माधयम इसके महत्व व बचचों की सुरक्षा ओर उनके विकास पर जोर दिया गया। डॉ. मोतीलाल यादव ने अपनी बात रखते हुए उनको ब्रेस्ट फीडिग के महत्व को महत्व को समझाया जाकर स्तनपान से जुड़ी अहम जानकारी दी ब्रेस्ट फीडिग बच्चे के सतत विकास मे सहायक है। यह शिशु के मानसिक एवं शारीरिक विकास मे बेहतर कारगर है। जहाँआरा ( जिला आशा प्रशिक्षक , राष्ट्रीय नेशनल हेल्थ मिशन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि  मां का दूध  बच्चो के लिए अमृत समान है। इससे माँ के साथ बच्चे का का भावनात्मक रिश्ता गहरा होता है। प्रसूता महिला एवं उनके साथ सहयोगी माताओ  को सुरक्षा की दृष्टि से  बच्चों  को गर्म रखने की सलाह दी  एवं साफ  सफाई के विषय  मैं तथा गभवर्ती  माताओं को उनके साथ आये  परिवार  के  महिला सदस्य सास, जेठानी, ननद, देवरानी एवं  भाभी को प्रसव उपरांत  माँ  का प्रथम दूध पिलाने की सलाह दी गई कि अपने  आसपास के  क्षेत्रों के माताओं को दुग्धपान  कराने के लिए  जागरूक करने की सलाह दी गई  ।

चिंता व्यक्त कर अपनी बात रखी कि कोरोना की वजह से मार्च 2019 मै लोक डाउन किया गया, तब से लगभग पूरे समय प्राथमिक स्कूल बंद है, हालांकि प्राथमिक स्कूल को आवश्यक सेवाओं (एसेंशियल सर्विस)की श्रेणी मैं आना चाहिये।भारत मैं स्कूल बन्दी का दूसरा साल शुरू हो रहा है। जिन राज्यो मैं स्कूल खोले जा रहे है वहा ज्यादातर 9-12 क क्षाओ पर जोर दिया जा रहा है। प्राथमिक स्कूल पर ढीलाई अभी भी जारी है।स्कूल बंद होने से लडकिया का लड़को से छोटे बच्चो का बड़े बच्चो से ओर गरीब बच्चो का सक्षम बच्चो से ज्यादा नुकसान हो रहा था। शिक्षा केवल पठन लिखना ओर गिनती ही नही ,बच्चे स्कूल मैं अन्य बाते भी सीखते है। कुछ बच्चो के लिए घर के तनाव ओर हिंसा से छुटकारा प्रदान करता है।

जिला चिकित्सालय एवं प्राथ मिक स्वास्थय केंद्र के स्तर के मुद्दों को विस्तार से बात कर  उनकी पह्चान कर संभावना की रणनीति पर बात हुई। तीसरी लहर आने की सभावंना व्यक्त की जा रही है अभी तक जो व्यवस्था होनी चाहिये वह नही हो पाये है । जिला चिकत्सालय मैं आक्सीजन गेस सिलेंडर की स्थापना नही हो पाई है ओर तो बेड से बेड तक की सप्लाई का कार्य, प्लास्टर रूम, अल्ट्रासाउंड समय न होना ओर तो ओर चिकित्सको के  अपने रूम पर समय तक नही मिलना। , आने की  लेट लतीफी बनी हुई है जिससे दूर से आने वाले मरीज भटकते रहते है। इस सन्दर्भ मैं एक पत्र  कलेक्टर को प्रस्तुत किया है।

श्रीप्रकाश सिंह निमराजे (अध्यक्ष) गोपाल किरन  समाजसेवी संस्था ने कहा कि हमारा लक्ष्य अंतिम बच्चे तक पहुंचना और उनकी चिंताओं और सिफारिशों को सामने लाना है ताकि वे उन चुनौतियों का सामना कर सकें, जिनका वे स्कूलों को बंद करने के साथ सामना कर रहे हैं। तथा कोरोना से बचाव व सुरक्षा हेतु लोगों को जागरूक किया, साथ ही साथ मास्क एवं सेनेटाइजर के उपयोग पर बात करते हुए बताया कि संस्था समाज से सरोकार और विकास पर अलग-अलग तरह के जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित करती रहती है। इस अवसर पर 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों एवं उनकी माताओं को मास्क, सेनेटाइजर वितरण कर, इसका हमेशा इस्तेमाल, हाथों को सही तरीके से साफ रखने इत्यादि की सलाह भी दी।  

उन्होंने बताया कि समूचे विश्व के साथ हमारा देश भी कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है। इससे बचने के लिए हमें चाहिए कि हम लोग अपने आपको को जागरूक करें और अफवाहों पर ध्यान न दें। फिलहाल इस बीमारी को यही कह सकते हैं कि जानकारी ही बचाव है। जहाँआरा जी ने वेक्सीन की उपयोगिता पर अपनी बात रखी।  

आकंक्षा वरुण ने बताया कि जहाँ एक ओर पूरे देश में कोरोना महामारी की वजह से लॉक डाउन और  दूसरी लहर में मौत का आतंक था तो  सरकार ने कोरोना कर्फ्यू के माध्यम से लोगों को घरों में सुरक्षित रहने की सलाह दी है। लोग कोरोना वायरस के भय से अपने घर में सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, वही दूसरी ओर गोपाल किरन समाजसेवी  संस्था  के अध्यक्ष श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ,जी  उस दौर में जब समाज में इतना खुलापन नहीं था और लड़कियों के लिए गृहस्थी ही श्रेयस्कर मानी जाती थी, श्रीप्रकाश सिंह निमराजे ने समाज मे  की कठिन और अनगिनत चुनौतियों से भरी सेवा कार्य  को अपना करियर बनाने का साहसिक निर्णय लिया। 

श्रीप्रकाश सिंह निमराजे जी ने अपनी सूझबूझ और गहरी समझ के साथ सामाजिक क्षेत्र में अपना एक अलग स्थान बनाया। चुनौतीपूर्ण परिस्थितियो आवर बेहद जोखिम  पर रहते हुए भी उन्होंने कभी भी कोई छूट नहीं ली। जिस भी हालत में किसी  उन्हें ज़िम्मेदारी सौंपी गई, उसे उन्होंने बड़ी निष्ठा और तत्परता से निभाया।उनकी कार्यशैली का हर कोई मुरीद हो गया था। क्षेत्र में निडरता पूर्वक कार्य करने के लिए श्रीप्रकाश सिंह निमराजे  जी को कड़े कदम उठाए जाने के लिए  करते हैं।  सड़कों और रेलवे प्लेटफार्म पर घूमते बेसहारा बच्चों को आसरा देने के लिए भी जानी जाती हैं। ऐसे बच्चों को स्वावलम्बी बनाने की दिशा में उनकी पहल ने उन्हें दुनिया में खास स्थान दिलाया। जिनकी पढ़ाई से लेकर समुचित प्रशिक्षण और स्वरोजगार  दिलवाने तक का काम बख़ूबी किया जा रहा है।।समुदाय की यथा संभव सहायता कर रहे हैं, फिर चाहे गरीब निर्धन लोगों को भोजन वितरण हो, सूखा राशन वितरण कार्य, कोरोना सर्वे, संभावित मरीजों की पहचान, मास्क वितरण , कोरोना पॉजिटिव परिवार की काउंसलिग कर मनोबल बढ़ाना, मास्क पहनने का सही तरीका सिखाना, फिजिकल दूरी  बनाये रखना, समुदाय को कोविड़-19 की गाइडलाइन के नियमो का पालन करने की सलाह देकर  और कोरोना हेल्पलाइन लाइन चालू कर जागरूक कर ज्यादा से ज्यादा कोरोना वेक्सीन लगवाकर जागरूकता अभियान भी  चला रही है। वह बहुत ही सरल हृदय है। संस्था भी दूसरों के सहयोग के लिए सदैव तैयार रहते है। वह कभी किसी दुःखी व्यक्ति के आंसू नहीं देख पाती और हर व्यक्ति की सहायता हेतु हमेशा तैयार रहते है। उनके सेवा के इस जज्बे को हमारा सलाम है।अनेक प्रयोग और प्रयास  किए।  समय उनके पीछे ऐसी कोई ठोस विरासत नहीं थी और न ही  कोई ठोस मॉडल उनके सामने था  उन्होंने अपने स्तर पर ही खड़े करने की कोशिस की है। उन्होंने जो समाज भी समस्याएँ  देखी उनको हल करने की दिशा मैं थीं शुरूआत कर दी थी। उसमें सभी वर्ग के लोग  आते हैं, नारी भी आती हैं। ये सभी विषय आगे चलकर  बड़े विमर्श बने।ऐसे साथी से समाज के लोग सीख ले रहे है और इस महामारी और विकास कार्यो मैं लगे है और लगे होकर  सहयोग  निर्वात गति से गति से कर रहे हैं। मानव सेवा से बडा कोई पुण्य का कार्य नही है। सेवा का जो अवसर आपको मिला है वह हर किसी को नही मिल सकता। कभी भी मन से की गई सेवा व्यर्थ नहीं जाती है, आपकी सेवा का ही प्रतिफल है कि हम अपने प्रयासों मैं लगे हुये है।

हमारे देश मैं जो रंगोली की प्राचीन परमम्परा रही वह आधुनिक समय मैं अपना वेभव खोती जा रही उसको जानेंगे। रगो के माध्यम से हम अपने विचार बेहतर तरीके से रख पाते है।

रंगोली कार्यक्रम में विभिन्न रंगों का उपयोग कर स्लोगन का उपयोग किया गया, जिससे प्रमुख नारे रंगोली के साथ देखो मगर प्यार से... कोरोना डरता है वेक्सीन की मार से,दो गज दूरी मास्क है जरूरी, हंस मत पगली प्यार हो जाएगा टीका लगवा ले, कोरोना हार जाएगा, स्टे होम, का उपयोग किया गया जिसको लोगों ने बहुत सराहा है। ऎश्वर्या  वरुण जी ने एक अच्छी रंगोली कम समय में कैसे तैयार की जा सकती है उसके बारे में था। रंगोली के बनाने के अनुभव को शेयर कर समुदाय को अपना सन्देश  दिया।  रंगोली को काफी लोगों ने देखा और सराहा।  इस अवसर पर कुलदीप सिंह, जहाँआरा ,लक्ष्मी सिंह, डॉ. मोतीलाल यादव,पुरुषोत्तम अर्गल, श्री हरी सिंह  सोनी जी (प्रभारी अधिकारी कुटुम्ब न्यायालय ) आदि ने अपने विचार रखे और सक्रिय भागीदारी को बनाये रखा।  उन्होंने कहा कि कोरोना अभी गया नहीं है , सावधानी बरतें  मास्क लगाएं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, कोरोना गाइडलाइन का पालन करें, सभी नागरिकों से कोरोना गाइडलाइन का पालन करने का आग्रह किया है।

Sunday, August 1, 2021

गोपाल किरन समाजसेवी संस्था द्वारा कोरोना बचाव पर रंगोली बनाकर दिया सन्देश ।

 

हौसलें अगर बुलंद हों तो मंजिलें आसान हो जाती हैं। कुछ कर गुजरने का जज्बा अगर हममें हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता ।

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस, (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l ग्वालियर जिले मे काफी प्रतिभा है जिनको सही मार्गदर्शन मिले तो अपनी  पहिचान का स्थापित होने के लिए  मोहताज नही है होना पड़ेगा और  अपनी प्रतिभा के दम पर विदेशी धरती पर भारतीय होने का गौरव प्राप्त करेगे ओर विश्व को दिखाया भी है। गोपाल किरन समाजसेवी संस्था के अध्यक्ष श्रीप्रकाश सिंह निमराजे के नेतृत्व मैं  श्रीमति संगीता शाक्य मुख़्य संरक्षक, कैलाश चन्द्र मीणा, मंडल अधिकारी वन के संरक्षकत्व मैं  जहांआरा के मार्गदर्शन कु. आंकक्षा सिंह  वरूण और ऎश्वर्या  वरुण जी के परामर्श पर ग्वालियर के प्रमुख स्थानों पर कोरोना के प्रति सभी को  जागरूकता के लिए  बच्चों ने रंगोली बनाकर सन्देश दिया कि वह कैसे अपना बचाव कर सकते है क्योंकि ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है तीसरी लहर आने की संभावना व्यक्त की जा रही है ।

श्रीप्रकाश सिंह निमराजे अध्यक्ष गोपाल किरन  समाजसेवी संस्था ने  कोरोना बचाव व  सुरक्षा हेतु लोगों को कोरोना से बचाव की समझाइश दी गई साथ ही साथ मास्क एवं सेनेटाइजर के उपयोग पर बात की  बताया कि संस्था समाज से सरोकार ओर विकास पर  अलग-अलग तरह के जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित करती रहती है,  18 से कम उम्र के बच्चों एवं उनकी माताओं को मास्क, सेनेटाइजर वितरण कर, इसका हमेशा इस्तेमाल, हाथों को सही तरीके से साफ रखना इत्यादि बात की।  विश्व के साथ हमारा देश कोरोना संक्रमित बीमारी से जूझ रहा है इससे बचने के लिए हमें चाहिए कि हम लोग अपने आपको को जागरूक करें और अफवाहों पर ध्यान ना दें। फिलहाल इस बीमारी को यही कह सकते हैं की जानकारी ही बचाव है। जहाँआरा जी ने वेक्सीन की उपयोगिता पर अपनी बात रखी। कु. आकंक्षा सिंह  वरुण जी ने बताया कि जहाँ एक ओर पूरे देश में कोरोना महामारी की वजह से पूरे देश में लॉक डाउन ओर  दूसरी लहर  मैं मौत का आतंक था तो  सरकार ने कोरोना कर्फ्यू के माध्यम से लोगों को घरों में सुरक्षित  रहने की सलाह दी है। लोग कोरोना वायरस के भय से अपने घरू मैं सुरक्षित महसूस कर रहे है वही दूसरी ओर गोपाल किरन समाजसेवी  संस्था  के अध्यक्ष श्रीप्रकाश सिंह निमराजे , समुदाय की यथा संभव सहायता कर रही है फिर चाहे गरीब निर्धन लोगों को भोजन वितरण हो, सूखा राशन वितरण कार्य, कोरोना सर्वे  ,संभावित मरीजो की पह्चान, मास्क वितरण , कोरोना पॉजिटिव परिवार की काउंसलिग कर मनोबल बढ़ाना, मास्क पहनने का सही तरीका सीखाना, फिजिकल दूरी  बनाये रखना, समुदाय को कोविड़ -19 की गाइडलाइन के नियमो का पालन करने की सलाह देकर  और कोरोना हेल्पलाइन लाइन चालू कर जागरूक कर ज्यादा से ज्यादा कोरोना वेक्सीन लगवाकर जागरूकता अभियान भी  चला रही है। वह बहुत ही सरल हृदय है दुसरो के सहयोग के लिए सदेव तैयार रहती है वह कभी किसी दुःखी व्यकित के आंसू नहीं देख पाती और हर  व्यकित की सहायता हेतु हमेशा तैयार रहती है उनके सेवा के इस जज्बे को हमारा सलाम है। ऐसे साथी से समाज के लोग सीख ले रहे है और इस महामारी मैं सहयोग कर रहे है।

रंगोली मैं विभिन्न रगों का उपयोग कर स्लोगन का उपयोग किया गया जिससे प्रमुख नारे रंगोली के साथ देखो मगर प्यार से... कोरोना डरता है वेक्सीन की मार से,दो गज दूरी मास्क है जरूरी,हंस मत पगली प्यार हो जाएगा टीका लगवा ले,कोरोना हार जाएगा,स्टे होम, का उपयोग किया गया जिसको लोगों ने बहुत सराहा है। ऎश्वर्या वरुण जी ने एक अच्छी रंगोली कम समय मैं  कैसे तैयार की जा सकती है उसके बारे मैं था रंगोली के बनाने के अनुभव को शेयर कर समुदाय को अपना सन्देश  दिया। इसको तैयार करने मैं आकंक्षा सिंह की भूमिका रही , इस अवसर पर राधा , एडवोकेट सुदामा प्रसाद आदि उपस्थित रहे। 

इस रंगोली मैं  जिला बाल अधिकार फोरम ग्वालियर, बाल संसद, स्कूल फोरम के बच्चों ने सक्रिय भागीदारी की।

समाजसेवी संस्था ने कार्यकर्ताओं के जन्मदिन पर पौधारोपण व छात्राओं को स्टेशनरी का वितरण किया।

 


दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस, (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l श्री श्याम रसोई, दिल्ली युवा जागृति मंच व प्राचीन शिव मंदिर ज्वालापुरी आर ब्लॉक की ओर से बच्चों को कापी,पेन, कोल्डड्रिंक व चिप्स के पैकेट वितरण किया गया। व इस अवसर पर दिल्ली युवा जागृति मंच की ओर से प्राचीन शिव मंदिर ज्वालापुरी आर ब्लॉक के प्रधान हरिशचन्द राजौरा जी की सुपौत्री आंकाक्षा राजौरा, श्री श्याम रसोई की सेवादार मैडम गीता जाजौरिया के बेटे विशाल व 27 जुलाई मंगलवार को दिल्ली पुलिस अधिकारी A.S.I. बड़े भाई दयाराम बबेरवाल जी व दिल्ली युवा जागृति मंच के अध्यक्ष भाई सुरेन्द्र बहल के चचेरे भाई सन्नी बहल के जन्मदिन पर पौधारोपण कर इन सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं को जन्मदिन की बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

25 जुलाई रविवार को नांगलोई विधान सभा क्षेत्र के वार्ड नं 49 स्थित ज्वाला पुरी कैम्प नं 5 के आर ब्लॉक में दिल्ली युवा जागृति मंच, श्री श्याम रसोई व प्राचीन शिव मंदिर की ओर से समाज सेवी राकेश नागपाल के सहयोग से प्रमुख समाज सेवी एवं श्री श्याम रसोई के संचालक प्रवीण गोयल, दिल्ली युवा जागृति मंच के चेयरमैन अशोक तंवर, समाज सेवी अशोक सूरी, मन्दिर प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरिशचन्द राजौरा, सुबेसिंह बड़सीवाल, हरीराम बागोरिया, दिल्ली युवा जागृति मंच के अध्यक्ष भाई सुरेन्द्र बहल, मंच के सदस्य प्रेम सोलंकी, राकेश खिंच्ची, जय प्रकाश सांखला श्री श्याम रसोई से घनश्याम दायमा, गीता मैडम, बृजमोहन के अलावा अनेकों सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने हाथों से कालोनी के करीब 500 बच्चों को कापी, पेन, मास्क, कोल्डड्रिंक वह चिप्स के पैकेट बांटे गए। इस मौके पर प्रमुख समाज सेवी प्रवीण गोयल ने कहा। कि हमें अपने परिवार के साथ एक गरीब व असहाय व्यक्ति को भोजन करावाना चाहिए। हमें एक दूसरे की सेवा करनी चाहिए।

इस मौके पर मंच के चेयरमैन एवं युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत अशोक तंवर ने कहा कि हमें श्री श्याम रसोई संचालक प्रवीण गोयल से प्रेरणा लेकर गरीब व मजबूर लोगों की सेवा करनी चाहिए। हमें अपने परिवार के साथ एक गरीब आदमी को भोजन करावाना चाहिए। हमें गरीब बच्चों को भीख न देकर उसको शिक्षित करने के लिए मदद करनी चाहिए। इस मौके पर कार्यक्रम में उपस्थित श्री श्याम रसोई संचालक  प्रवीण गोयल, दिल्ली युवा जागृति मंच के चेयरमैन एवं युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत अशोक तंवर,  समाज सेवी  राकेश नागपाल व समाज सेवी अशोक सूरी,  मंगल मल्होत्रा, प्रहलाद शरण बडसीवाल,  सुभाष सांखला को दिल्ली युवा जागृति मंच एवं प्राचीन शिव मंदिर प्रबंधक कमेटी की ओर से प्रधान हरिशचन्द राजौरा ने पगड़ी वह दिल्ली युवा जागृति मंच के अध्यक्ष भाई सुरेन्द्र बहल ने फूल माला पहनाकर कर स्वागत एवं अभिनन्दन किया। इस मौके पर बच्चों को कापी पेन मास्क कोल्डड्रिंक व चिप्स देकर बच्चों को शिक्षा की ओर प्रेरित करने के लिए। प्राचीन शिव मंदिर ज्वालापुरी के प्रधान हरिशचन्द राजौरा व दिल्ली युवा जागृति मंच के अध्यक्ष भाई सुरेन्द्र बहल ने सामाजिक कार्यकर्ताओं का आभार प्रकट किया। इस मौके पर  हरिशचन्द राजौरा व भाई सुरेन्द्र बहल ने कहा। कि हमें समाज सेवा प्रवीण गोयल व अशोक तंवर की तरह निस्वार्थ भाव से करनी चाहिए। हमें सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। आज हमारे क्षेत्र में श्री श्याम रसोई के माध्यम से गरीब लोगों को एक रुपए में भरपेट भोजन करवाया जा रहा है। पशु, पक्षियों को चारा डाला जा रहा है। वहीं दिल्ली युवा जागृति मंच के चेयरमैन अशोक तंवर के द्वारा् सामाजिक कार्यकर्ताओं के जन्मदिन पर वृक्षारोपण कार्य करके। हमारे युवाओं को सामाजिक कार्य करने की प्रेरणा दें रहें हैं। वहीं पर्यावरण को स्वच्छ रखने में मदद कर रहे हैं। इस मौके पर दिल्ली युवा जागृति मंच के अध्यक्ष भाई सुरेन्द्र बहल ने सभी का धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया।