दिल्ली, समाजहित
एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l अगर आपके हौंसले बुलंद हो तो कोई भी वजह
आपको कामयाब होने से नहीं रोक सकती। इस बात को सच साबित किया है हाल निवासी सुरता
सिंह रोड, छहरटा, अमृतसर के रैगर समाज के प्रतिभाशाली
हिस्ट्री विषय के लेक्चरर गिरीश भारती (धौलपुरिया) ने । आज वह युवाओ के लिए
प्रेरणा स्त्रोत है l
रैगर समाज का
होनहार युवा गिरीश भारती (धौलपुरिया) जिसके मन में शिक्षा के जरिये देश, समाज, परिवार व खुद को बुलंदी पर ले जाने की प्रबल
इच्छा उडान भर रही थी l यही वजह थी कि उसने परिवार की आर्थिक तंगी के कारण भी अपने पढ़ने की
इच्छा को कभी मरने नहीं दिया । गिरीश भारती, भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीम राव अंबेडकर और
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते हैं।
गिरीश भारती के
पिता रमेश राज पुत्र सुंदर मल धौलपुरिया करीब साठ साल पहले गाँव मंडावा, जिला झुंझुनू राजस्थान से पंजाब में आया था। पिता रमेश राज
मेहनत मजदूरी करते थे । इसके बाद वह खुद के दम पर नगर निगम में राज मिस्त्री बने।
परिवार में छह भाई-बहनों में गिरीश सबसे बड़े है l
गरीब परिवार में
पैदा हुए भारती की आर्थिक तंगी के चलते स्कूली पढ़ाई 10वीं के बाद छूट गई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी । इसके वह अपने परिवार के पुश्तैनी काम में 5
साल तक पंजाबी जूते बनाने लगे, लेकिन इस दौरान
भी पढ़ाई की ललक नहीं छूटी और वह आईटीआई में एडमिशन लेकर कोर्स करने लगे । वहीं एलआईसी का
काम भी शुरू किया ताकि पढ़ाई का खर्च निकलता रहे । साल 1993 में उनकी शादी हो गई, मगर पढ़ाई में उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा ।
गिरीश भारती ने
फिर अपनी लग्न और मेहनत से ग्रेजुएशन की और उसके बाद बीएड किया l डीएवी हाथी गेट
स्कूल में लेक्चरर के रूप
में पढ़ाना शुरू किया । लेकिन यही तक अपनी मंजिल नहीं मानी और उन्होंने यूजीसी नेट
परीक्षा में भी हाथ आजमाना शुरू किया। इसमें वह 9 बार असफल रहे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी । फिर जब सफलता मिलने लगी तो लगातार 9 बार इस परीक्षा
को क्लीयर किया । भारती बताते हैं कि उनके पिता और माता गीता देवी उन्हें
सफलता के लिए हमेशा प्रेरित किया करते थे।
गिरीश समाज सेवा
भी करते है और खुद रोज 5 घंटे पढ़ते भी हैं l युवाओं को फ्री मोटिवेशन के अलावा
विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी भी करवाते हैं । वह चार सब्जेक्ट इतिहास, लोक प्रशासन, समाजशास्त्र और एजुकेशन में एमए कर चुके हैं, लेकिन पढ़ाई की ललक अभी भी कम नहीं हुई । अब 48 साल की उम्र में इंदिरा गांधी
ओपन यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान विषय में पांचवीं बार एमए कर रहे हैं । वह जीएनडीयू
से उर्दू की भी पढ़ाई कर चुके हैं और अब पर्शियन सीख रहे हैं । वह आज भी सादगी भरा
जीवन व्यतीत करते हैं ।
बाबा सोहन सिंह
भकना सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में इतिहास के लेक्चरर के रूप में कार्यरत
भारती बताते हैं कि वह घर पर विभिन्न परीक्षाओं के लिए युवाओं को फ्री में तैयारी
करवाते हैं। गिरीश का कहना है
कि उनकी जिंदगी का मकसद ही लोगों में ज्ञान की रोशनी जगाना और उन्हें पढ़-लिख कर
अच्छे नागरिक बनने को प्रेरित करना है ।
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