दिल्ली,समाजहित
एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l राजधानी में महिलाओ और किशोरियों के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़, दहेज हत्या समेत अन्य आपराधिक वारदात के बढ़ते
मामलों पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली प्रांतीय रैगर पंचायत के महिला प्रकोष्ठ के
द्वारा दिल्ली महिला एवं बाल कल्याण आयोग व दिल्ली पुलिस के सहयोग से रैगर समाज
में महिला सशक्तीकरण के अंतर्गत महिलाओं को अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक करने व
आत्म सुरक्षा के गुर सिखाने के लिए रविवार 17 नवम्बर को मादीपुर स्थित विष्णु
मंदिर में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया l
महिलाओ के आत्म सुरक्षा के कौशल और ज्ञान को समृद्ध करने हेतु मुख्य अतिथि, अतिथियो व समाज के गणमान्य महानुभावो द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की । आयोजक गीता सक्करवाल द्वारा मुख्य अतिथि, अतिथियो व समाज के गणमान्य महानुभावो का पटका और स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया गया l मंच संचालन नरेंद्र अटल ने किया l
पिछली कुछ सदियों
से जाने अनजाने में आम भारतीय महिलाओ के साथ इतनी ज्यादती की जाती रही है कि उसके दिलो-दिमाग
में यह बात आती ही नहीं कि वर्तमान भारतीय संविधान के अनुसार महिलाओं को भी
पुरुषों के समान, स्वतंत्र, गौरवमयी जीवन जीने का हक़
है । क्योंकि अधिकांश महिलाओं की बचपन से परवरिश ही इस तरह से की जाती है कि
उन्हें घरेलू सामंजस्य या रीति रिवाज/परिपाटी के नाम पर जिंदगी भर बस सहन करते
रहना सिखाया जाता है । इस जन्म घुट्टी के साथ पली बढ़ी महिलाएं घरेलू हिंसा को भी
अपनी नियति मान खामोशी से सहन करती चली जाती हैं ।
दिल्ली प्रांतीय
रैगर पंचायत समाज के हर एक पहलू पर काम करती है। आये दिन महिलाओ और किशोरियों तथा छात्राओं
के साथ छेड़छाड़, अश्लील हरकत व बलात्कार की घटना होती रहती है, जिससे वे अपने आप को असुरक्षित महसूस करती हैं । ऐसे में यह कार्यक्रम रैगर
समाज की छात्राओं,किशोरियों व कामकाजी महिलाओ के लिए बेहतर साबित होगा ।
महिला आत्म
सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम में दिल्ली महिला एवं बाल कल्याण आयोग व दिल्ली पुलिस
के सीनियर अधिकारियों ने इसमे शिरकत कर महिलाओं एवं छोटे बालक-बालिकाओं के विरुद्ध
घटित होने वाले यौन अपराध, कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले
अनैच्छिक बर्ताव आदि विषय पर जागरूक किया गया । इसके अलावा अभिभावकों को
बताया गया कि छोटी उम्र में बच्चों के साथ विश्वास का रिश्ता कायम करना बेहद जरूरी
है, और उनमें विश्वास जगाएं कि आप उनकी बातों को सीक्रेट रखेंगे ताकि वे अपनी
बातें शेयर करने से न हिचकिचाएं । बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताएं l बच्चों को बताएं
कि शरीर के इन हिस्सों को किसी को न छूने दे। बच्चों के मन से डर दूर
करें और उन्हें ना कहना सिखाएं। अगर उन्हें कोई गलत तरीके से छूने की कोशिश करे तो
वे प्रताड़ित करने वाले से डरे नहीं और उन्हें ऐसा न करने के लिए बोलें। प्रताड़ित
करने वाले से बचने के लिए हल्ला मचाएं ताकि आसपास के लोग उसकी चीख सुनकर उसे बचा
सकें । बच्चे कभी अकेले कहीं न जाएं, हमेशा दोस्तों के ग्रुप में चलें ताकि अपराध करने वाले
को ऐसा करने का मौका न मिले ।
कार्यक्रम के
दौरान बताया गया कि अवेयरनेस, एलर्टनेस, सेंसटाइजिंग, गुड पैरेंटिंग और अवॉइड द डेंजर ये पांच ऐसे प्वाइंट्स हैं, जिनको फालो करके यौन अपराधों से बचा जा सकता है। किसी के द्वारा छेड़छाड़, अश्लील हरकत, आपत्तिजनक टिप्पणी, फोन पर जबरदस्ती कॉल करने, अश्लील या अनावश्यक सन्देश भेजने पर महिलाएं या
छात्राएं किसी भी समय महिला हेल्पलाइन 181, वीमेन पावर हेल्पलाइन
1090, 1098 डायल 100 नम्बरों पर फोन कर समस्या के संबंध में
बेझिझक बता सकती हैं। यौन अपराध रोकने और विषम परिस्थिति में स्वरक्षा के लिए महिलाओं को घर से
बाहर जाते वक़्त हमेशा अपने साथ बैग में मिर्च स्प्रे करने का यंत्र रखने का सुझाव
और परिस्थिति से निपटने के लिए सेल्फ डिफेंस के गुर बताये गए ।
समाज के प्रबुद्ध
वक्ताओ ने महिला सशक्तीकरण के अंतर्गत ऐसे कार्यक्रम के आयोजन की भूरि-भूरि
प्रशंसा करते हुए कहा कि जब तक समाज की महिलाओं में अपनी आत्म सुरक्षा के प्रति
चेतना नहीं होगी, तब तक महिला सशक्तीकरण संभव नहीं है l उन्होंने
अभिभावकों से आह्वान करते हुए कहा कि आप अपनी बच्चियों को खुद की सुरक्षा के लिए
अत्म निर्भर बनाएं l अभिभावक बच्चियों के साथ दोस्त बन कर रहें और उनको समाज में
होनी वाली घटनाओं के विषय में जागरूक करते रहें। सामाजिक स्तर पर सोच में
बदलाव लायें, और अभिभावक अपने बेटे और बेटियों की परवरिश में अंतर करना बंद करें।
उन्होंने आगे कहा
कि वास्तव में महिला सुरक्षा के लिए खुद महिला को सक्षम होना होगा। लज्जा को
स्त्री का गहना मानना स्वयं स्त्री को छोड़ना होगा । हिम्मत, वीरता और साहस को उसे अपने महत्वपूर्ण गुण बनाना होगा। जो डरता है उसे दुनिया
डराती है । बलात्कार की
घटनाओं में कमी लाई जा सकती है यदि हम महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ पुरुष मानवीयकरण
के लक्ष्य को भी सामने रखें । घर में पिता-पत्नी और बेटी का, और बेटा-मां और बहन का सम्मान करें। बाहर किसी भी स्त्री को कोई भी पुरुष
इंसान की तरह मान कर सम्मान करें। कड़े कानूनों के बनाने के बावजूद भी महिला अपराध
में कमी नहीं ऐसे माहौल को बदलने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं अपितु हर
आम आदमी की है ताकि हर महिला गर्व से अपने जीवन को जी सके।
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