झुंझुनू, 26 मई 2015, ना बैंडबाजा ना घोड़ी नाही दुल्हा-दुल्हन के सर पर कोई सेहरा ना कोई नाचगाना। तड़क-भड़क वाली शादियों के आज के दौर में ऐयी शादी की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है वहीं कबीर पंथी समाज ऐसे दिखावे से दूर रह कर शादियां करता है जो समाज को एक नई दिशा प्रदान करती है। ऐसी ही एक आदर्श विवाह राजस्थान में झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी कस्बे में कबीर पंथी प्रणाली से सम्पन्न हुआ। सामाजिक रीति रिवाज से परे दहेज रहित शादी में दुल्हन साधारण कपड़ों में ही ससुराल के लिए विदा हो गई।
जानकारी के अनुसार पौंख निवासी प्रेमलाल रसगनिया ने अपने बेटे नरेंद्र व सुजानगढ़ निवासी बाबूलाल बाकोलिया ने अपनी बेटी प्रियंका की शादी कबीर पंथ के अनुसार करना तय किया। कबीर पंथ से जुड़े लोग हर तरह के नशे से दूर रहते हैं इसलिये पंथ के नियमानुसार शादी समारोह में विवाहस्थल के गेट पर आने वाले हर व्यक्ति की तलाशी लेकर तंबाकू उत्पाद व अन्य नशे की चीजें बाहर ही रखवाई गई।
सबसे पहले पंथ की परंपरा के अनुसार सत्संग शुरू हुआ। अपराह्न तीन बजे साधारण कुर्ता पायजामा पहने दूल्हा और साधारण साड़ी पहने दुल्हन गुरु महाराज की प्रतिमा के सामने आकर बैठ गए। रमैणी और पूर्णाहुति के साथ ही विवाह संपन्न हो गया। दाल-बाटी चूरमा का प्रसाद लिया गया। शाम को संध्या आरती के बाद दुल्हन विदा हो गई। ना दहेज दिया गया, ना गिफ्ट जुंहारी। शादी समारोह में प्रदेश के दूर-दराज से बड़ी संख्या में कबीर पंथी एकत्रित हुए। कबीर पंथ के राजस्थान कॉ आर्डिनेटर प्रकाशदास, सोहनदास पाली, रामपालदास कुचामन सिटी, राजेंद्र दास जयपुर, विनोद दास झुंझुनूं सहित कई जगह से लोग शामिल हुए।
शादी समारोह में शामिल बीएससी की छात्रा संजू बाकोलिया ने कहा कि मुझे इस शादी में शामिल होना बहुत अच्छा लगा। मैं भी इसी परम्परा से शादी करना पसंद करूंगी। बीएससी की सरोज ने कहा कि ऐसी शादी में समय धन की बचत होती है। वनस्थली विद्यापीठ में बीए पार्ट प्रथम की भारती का मानना है कि ऐसी शादी में दोनों पक्ष एक दूसरे को मन से स्वीकारते हैं, जिससे झगड़े होने की संभावना नहीं रहेगी। बीए फाइनल की विजय ने बताया कि इस पंथ के लोग नशे से दूर रहते हैं। साधारणतया परिवारों में झगड़े की जड़ नशा होता है। इस प्रणाली में सामाजिक कुरीतियों से अलग तथा बुराइयों से भी अलग हटकर शादी होती है। घोड़ीवारा कलां की नेहा चौधरी ने कहा कि मैं अगर अपने परिजनों से आग्रह करूं तो भी वे मेरी शादी इस प्रकार से नहीं करेंगे। इसके लिए पहले परिवार के मुखिया का कबीर पंथी होना जरूरी होगा। एमए फाइनल की नीति ने कहा कि मैं हर हाल में इसी प्रणाली से शादी करना पसंद करूंगी।
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