Friday, January 17, 2020

रैगर समाज के हित में सामाजिक एकता और विकास पर सुरेश कुमार कनवाङिया ने अपने विचार व्यक्त किये



दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l रैगर समाज पूरी दुनिया में एक है अनेक नहीं, हम सब के खून का रंग भी एक है, हमारा एक ही विशाल रैगर परिवार है और हम सब रैगर समाज में जन्म से हैं यह बहुत बड़ी बात है । विशाल रैगर परिवार में हमारी नाराजगी किसी व्यक्ति विशेष से हो सकती है, नाराजगी प्रकट करने का यह मतलब कतई नहीं होना चाहिये कि हम समाज पर कीचड़ उछाले और गाली-गलौज करें । उस नाराजगी को पूरे समाज पर थोपने से बचिये । आप स्वच्छ और  समाजहित का विचार देना चाहते हैं तो समाज को प्रेषित किजिये, समाज सहर्ष आपके विचारो को स्वीकार कर आपको नमन करेगा ।

विशाल रैगर परिवार की सामाजिक संस्थाएं भी रैगर समाज के लोगो के स्वच्छ व समाजहित के विचारों और सुझावों को व्यक्तिगत रूप, डाक से व मेल के जरिये सहर्ष स्वीकार करें और अपनी प्रतिक्रिया भी जवाब के रूप निर्धारित समय में देने का प्रयास करें l  जिससे समाज में पारदर्शिता बनी रहे और रैगर समाज जन सहयोग से निरंतर विकास की ओर अग्रसर रहे l
गंगानगर से सामाजिक एकता और विकासपर अपनी राय रखते हुए SBBJ  के वरिष्ठ मैनेजर के पद से रिटायर्ड सुरेश कुमार कनवाङिया ने अपनी आवाजसमाजहित एक्सप्रेस के माध्यम से सामाजिक संगठनो के उन लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की है, जो समाज को लेकर चिंतित हैं, समाज की बेहतरी के लिए प्रयासरत हैं, जो समाज में कुछ अच्छा कर रहे, और सामाजिक विकास के लिए नियम व नीति निर्माण करने की तैयारी कर रहे हैं । सुरेश कुमार कनवाङिया ने अपनी लिखित बात बड़ी बेबाकी से रखी और अपने विचार समाज के सामने लाने की कोशिश की है । सुरेश कुमार कनवाङिया के निम्नलिखित सुझाव है :-
1. रैगर समाज के विकास के लिए एक जाति के तौर पर नहीं बल्कि एक बड़े परिवार या समुदाय के तौर पर सोचना और इसके हित अहित की दृष्टि से काम करना होगा ।
2.हमारे नाम के आगे मात्र 'रैगर' लिखने से कुछ नहीं होगा । हम लोग कुछ ऐसे काम करें कि हमारे समाज की छवि अच्छी और एक ब्राँण्ड नेम की बने ।
3. आपसी सहयोग और विश्वास कायम करने पर जोर देना होगा ।
4. आजादी के बाद प्राप्त संवैधानिक अधिकारों के कारण हमारे जिन लोगों को भी शिक्षा, रोजगार, राजनीति,  सामाजिक/धार्मिक सुरक्षा, समग्र समाज के अन्य लोगों से व्यवहार में मिली किसी भी सफलता में समाज का बहुत ही कम योगदान रहा है । पारिवारिक या निजी प्रयासों ने ही अधिक काम किया है । इसीलिए सफल लोग समाज के प्रति किसी जिम्मेदारी को महसूस नहीं करते । केवल रिस्तों के लिए ही समाज की जरूरत नहीं होती । विभिन्न सेवाओं के लिये देश व भेदभाव रहित समाज को हमारे सपूत उपलब्ध हों ।
5. सरकार या अन्य संस्थाओं से सहायता के अलावा अपने स्तर पर भी समाज अपने विकास का मार्ग और योजना बनाये। जिससे हमारे पूर्वजों, सुधारकों,  सन्तों व बाबा अम्बेडकर साहब के सपनों को साकार किया जा सके ।
6. हमारे संगठनों को बिना किसी भेदभाव के समाज की एकता और कल्याण के लिए काम करना चाहिए न कि पद प्रदाता के रूप में या किसी के निजी लाभ के लिए । पद केवल कार्य संचालन व प्रबंधन के लिए हों ।
7. गांव/शहर/तालुका आदि हर क्षेत्र में समाज के लोगों द्वारा लोकल स्तर पर नियमित मासिक बैठक होनी चाहिए जिसमें आपसी मेल-मिलाप, सूचना का आदन-प्रदान, समाज की अच्छी-बुरी परम्पराओं पर आपसी विमर्श और नई व्यवस्थाओं व रोजगार सम्बन्धी नये प्रावधानों पर विचार हो ।
8. सर्वसम्मति से सामाजिक हित के नये प्रस्ताव लागू करें ।
सम्भवतया ऐसे ही कुछ प्रयासों से हमारे समाज के सार्थक विकास को गति और दिशा प्रदान की जा सकती है ।
सुरेश कुमार कनवाङिया, श्रीगंगानगर (राजस्थान) ।

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