दिल्ली समाजहित
एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l रैगर समाज की शिक्षा के मामले में जानी-पहचानी संस्था रैगर
छात्रावास प्रबंध समिति के चुनाव का समय आगामी 27 नवंबर तय हो चुका है । ये चर्चा
ज़ोरों से चल रही है कि पदाधिकारियों का चयन मतदान द्वारा किया जाए या सर्वसम्मति
से । चुनाव का मतलब समिति के शीर्ष नेतृत्व के रूप में पदाधिकारियों का चयन करना l समाज द्वारा चुने जाने वाले पदाधिकारियों के बारे में यह देखना होगा कि
उम्मीदवार शिक्षा और सामज के प्रति सकारत्मक सोच रखता हो, और समाज की छोटी-बड़ी हर समस्या और समाधान के लिए जागरूक,ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ हो l
अगर समाज के अनुभवी लोग इन
बातों को ध्यान में रखकर समझदारी से ऐसे उम्मीदवारों का चयन चाहे मतदान से या
सर्वसम्मति से करते है तो वे दोनों ही प्रक्रिया समाजहित में होगी ।
रैगर समाज के लोकेश
सोनवाल (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक) ने रैगर छात्रावास प्रबंध समिति के चुनाव के विषय
में अपने विचार लिखित में समाज के समुख रखे है जो निम्न प्रकार से है :-
रैगर समाज के सम्मानित
वरिष्ठजनों, भाईयों और बहनों,
जैसा कि विदित है
रैगर छात्रावास प्रबंध समिति ने आगामी 27 नवंबर को चुनाव करवाने का निर्णय लिया है । लोकतांत्रिक रूप से निर्णय स्वागत
योग्य है । मैंने अपने जीवन के 50 साल समाज की
सेवा में न्योछावर किये हैं, इन पचास सालों के अनुभवो के आधार पर मैं समाज से निम्नलिखित
निवेदन करना चाहता हूँ।
1. पिछले दो चुनावों
में देखने में आया समाज के दो गुट बनकर पैनल बनाकर चुनाव होने लगे हैं जिससे समाज
दो से अधिक धड़ों में बंट गया ।
2. दानदाताओं की खून
पसीने की बड़ी कमाई को चुनावी खर्चे के रूप खर्च करने का चलन होने लगा है रिकार्ड
के अनुसार करीब डेढ़ से दो लाख छात्रावास कोष से खर्च हो रहे है । चुनाव प्रबंध
में लगे कार्मिक दस हज़ार से बीस हज़ार तक कमा लेता है ।
3. चुनाव लड़ने वाले
पैनल क़रीब तीन तीन लाख खर्च करके चुनाव लड़ता है । इसप्रकार क़रीब एक चुनाव में
प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से क़रीब दस लाख रूपए चुनाव में खर्च हो रहे हैं यानि
दोनों चुनाव में क़रीब 15 से 20 लाख खर्च हो रहे हैं ।
4. चुनाव जीतने के
बाद छात्रावास का पैसा खर्च करके छात्रावास के विकास के लिए चंदा एकत्रित करने
जाते हैं ।
5. फिर कार्यकारिणी
चुनाव जीत कर छात्रावास में दो महँगे कार्मिकों को नियुक्त कर उन लोगों को रोज़गार
देकर स्वयं समाज सेवा से फ़्री हो जाती है l
6. यदि हम इन सब
बातों पर गौर करें तो निष्कर्ष यह निकलता है कि गरीब समाज के लिए ऐसा चुनाव दोहरी
मार करता है । होना यह चाहिए कि Pay-back Society के सिद्धांत पर
जो लोग समाज सेवा के लिए आएँ वे किसी कार्मिक को बिना प्रतिफल दिए स्वयं कार्य
करें, हमारे समाज में निःशुल्क
सेवा करने वालों की कमी नहीं है।
7. चुनाव खर्च बचाने
के लिए हमें सर्वसम्मति से कार्यकारिणी का चयन करना चाहिए इसप्रकार हम आगामी
कार्यकारिणी के लिए कम से 10 लाख रूपये की
बचत कर समाज सेवा कर सकते हैं । समाज की निःशुल्क सेवा करने वाले लोग और जिनके पास
सेवा करने का समय हो उन लोगों को ही हमें कार्यकारिणी में लाना चाहिए ।
इन सब विषयों पर
मंथन करने के लिए शीघ्र ही एक खुली मीटिंग का आयोजन हो ।
सादर
लोकेश सोनवाल
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक
समाज का सजग प्रहरी ।
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