Monday, February 17, 2020

फागी तहसील का एक छोटा सा गांव डाबिच रैगरान में एकता और भाईचारा ही गांव की ताकत है


दिल्ली समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगाँवलिया) l आज हम इतना कह सकते हैं कि आर्थिक विकास की अंधी दौड़ और प्रतिस्पर्धा के इस माहौल में भी अपनी तमाम खुबियां समेटे जयपुर जिले की फागी तहसील का एक छोटा सा गांव डाबिच रैगरान सामाजिक समरसता का सच्चा मिसाल था और आज भी है । अपने रैगर समाज के भाईचारे का यह बेजोड़ नमूना है, सब साथ रहते हैं । सुख-दुख के साथी हैं । पुराने उस माहौल में कोई बदलाव अब भी नहीं दिखता ।

मुझे रविवार 16 फरवरी को अम्बेडकर युवा मंडल के निमंत्रण पर संविधान निर्माता व भारत रत्न बाबा साहब डॉ० भीमराव अम्बेडकर जी की मूर्ति स्थापना व अनावरण के अवसर पर जयपुर जिले की फागी तहसील के गांव डाबिच रैगरान में जाने का अवसर मिला l आधुनिक युग में टूटते सामाजिक मूल्यों और संबंधों के इस दौर में वहां पर भाईचारा एक बहुत ही पवित्र सी अवधारणा के रूप में सामने आया । गाँवों में शुद्ध वायु तथा शुद्ध आहार के सेवन से वहाँ के निवासी स्वस्थ, परिश्रमी और शक्तिशाली होते हैं । प्रदूषण का वहाँ पूर्णत: अभाव होता है ।

राजस्थान की धरती सीधे साधे लोगों की भूमि है । राजस्थान और रैगर समाज की संस्कृति में सामाजिक परंपराओं का ताना-बाना बहुत मजबूत रहा है । यह सामाजिक मजबूती ही समाज में व्याप्त कुरीतियों और बुराइयों को पनपने व मिटाने में मददगार साबित होती है । गांव के अनपढ़ बूढ़े-बुजुर्गों ने बहुत ही समझदारी के साथ इसे अपने समाज के निर्माण में सामाजिक परंपराओं का महत्व समझा  होगा, ताकि सामाजिक माहौल में बराबर मिठास भरा रहे । इस गांव के लोग भक्ति भाव की आस्था व भाईचारे में पूर्ण विश्वास की भावना को बनाये रखने के लिये एक मंदिर बनाया हुआ है जिसमे सुबह शाम पूजा पाठ व आरती करते है और सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन बडी ही शालीनता व सहयोग की भावना से करते हैं l

गाँव डाबिच रैगरान के रैगरों में एकता, आपसी प्रेम और भाईचारा इतना प्रगाढ है कि आपसी मसले बातचीत से हल कर लेते है l  इस गाँव तक विकास की किरणे भले देर से पहुंची, लेकिन आपसी प्रेम और भाईचारे की रौशनी भरपूर रही है l  अपनी इसी खूबी के दम पर डाबिच गांव के लोग अनगिनत चुनौतियों और अभावो के बीच भी खुशहाल जिन्दगी जी रहे है l  गाँव में ग्रामीणों के बीच किसी भी तरह के कोई मतभेद और मनभेद नहीं है l  यदि कभी कभार कोई बात होती भी है तो गाँव में ही सब मिल बैठकर सुलझा लेते है l रैगरों में आपसी प्रेम और भाईचारे की अनूठी परम्परा गाँव डाबिच रैगरान में कई दसको से चली आ रही है जो आज भी कायम है, नई पीढ़ी के लोग भी बड़े बुजुर्गो की इस परम्परा का बखूबी निर्वहन कर रहे है l

गांव डाबिच रैगरान के प्रगतिशील सोच के धनी सरपंच राम गोपाल सैनी का कहना है कि गांव निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है। गांव के अधिकांश घरों में घरेलू वाहन,पानी के साधन आर.ओ.,ए.सी.व  अन्य घरेलू विलासिता के साजो सामान मिल जायेंगे, मंनोरंजन के लियें गांव टीवी केबल नेटवर्क / डी टी एच सेवाओं व इंटरनेट से जुडा हुआ है, संचार के माध्यम के रूप में गांव के अधिकतम युवाओं के पास स्मार्टफोन हैं l गाँव में सभी बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है l गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का निर्माण किया जा रहा है ।
समाज की एकता और आपसी भाईचारे की हमारी संस्कृति और परंपरा की धरोहर को दिखाने का कार्य गाँव आज भी करते आ रहे है । मुझे अब भी याद है कि जब भी हमारे गांव में किसी त्योंहार या उत्सव आता था, तब हम सब दोस्त लोग अपनी अपनी छुट्टी लेकर त्योंहार या उत्सव के कुछ दिन पहले समाज की एकता और आपसी भाईचारे की हमारी संस्कृति और परंपरा को देखने गांव को चले जाया करते थे l
हम लोग अपने गाँव से रोजगार के कारणवश या किसी अन्य प्रयोजन के तहत शहरों में आकर चाहे बस गए हो पर जब भी गांव में किसी कार्यक्रम का निमंत्रण आता है तो, उस समय सभी को उस कार्यक्रम में सम्मिलित व गांव जाने की खुशी सिर्फ अपने अंतर्मन से ही महसूस की जा सकती है ।



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