Tuesday, February 18, 2020

राजस्थान के मुख्यमंत्रीयो की सूची


राजस्थान में चुनाव १९५२ से आरम्भ हुये। उन चुनावों में राजस्थान से लोकसभा और विधानसभा के लिए सदस्यों का चुनाव हुआ। राजस्थान में कुल २५ लोकसभा और २०० विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र हैं।
राजस्थान विधानसभा के पहले चुनाव १९५२ में हुये।
वर्ष
चुनाव
विजेता पार्टी/गठबंधन
मुख्यमंत्री
१९४९
कोई चुनाव नहीं
१९५२
प्रथम विधान सभा
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
१९५७
दूसरी विधान सभा
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
मोहन लाल सुखाडीया
१९६२
तीसरी विधानसभा
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
मोहन लाल सुखाडीया
१९६७
चौथी विधानसभा
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
मोहन लाल सुखाडीया
बरकतुल्लाह खान
१९७२
पाँचवी विधानसभा
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
बरकतुल्लाह खान
हरी देव जोशी
१९७७
छटी विधानसभा
१९८०
सातवीं विधानसभा
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
१९८५
आठवीं विधानसभा
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
हरी देव जोशी
शिव चंद्र माथुर
हरी देव जोशी
१९९०
नौंवी विधानसभा
भैरों सिंह शेखावत
१९९३
भारतीय जनता पार्टी
भैरों सिंह शेखावत
१९९८
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
२००३
भारतीय जनता पार्टी
२००८
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
अशोक गहलोत
२०१३
भारतीय जनता पार्टी
वसुन्धरा राजे सिंधिया
२०१८
पन्द्रहवी विधानसभा
भारतीय जनता पार्टी
अशोक गहलोत

राजस्थान के माहौल में विधानसभा चुनाव की वजह से गर्मी है. हर पार्टी जीत के लिए अपना दम लगा रही है और अभी प्रदेश में मुख्यमंत्री की रेस के लिए ज्यादा कयास लगाए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री के दावेदार माने जा रहे सभी नेता चुनाव भी लड़ रहे हैं, लेकिन राजस्थान की राजनीति में ऐसा कई बार हुआ है, जब मुख्यमंत्री के दावेदार ही चुनाव हार गए हैं.
इसमें सबसे अहम है आजादी के बाद पहली बार साल 1952 में हुए विधानसभा चुनाव, जब मनोनीत तत्कालीन मुख्यमंत्री और कांग्रेस की ओर से सीएम के अहम दावेदार जयनारायण व्यास को हार का सामना करना पड़ा था.
जहां आजादी के बाद पूरे देश में कांग्रेस की सरकार थी वहीं, राजस्थान में स्थिति कुछ उलट थी और कांग्रेस आजादी के बाद हुए पहले ही विधानसभा चुनाव में हारते हारते बची थी. उस दौरान स्थितियां ऐसी बनी कि कांग्रेस को बहुत कम अंतर से जीत नसीब हुई और सरकार बनाने में सफल हो गई.
कहा जाता है कि आजादी के बाद देशी रियासतों के राजा-महाराजा सरदार पटेल की सख्त नीति से परेशान थे और नाराज राजाओं ने मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया. इस चुनाव में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन भी किया और 78 सीटें हासिल की. वहीं इस पहले चुनाव में 160 सीटों में से 82 सीट ही कांग्रेस के हाथ लगी थी.
इस चुनाव में कांग्रेस मुश्किल से बहुमत का आंकड़ा पार कर पाई और 26 अप्रैल 1951 को तीसरे सीएम मनोनीत हुए जय नारायण व्यास को भी दो जगह से हार का सामना करना पड़ा. वे बाद में उपचुनाव जीतकर 1 नवम्बर 1952 को फिर मुख्यमंत्री बने.

व्यास ने जोधपुर सिटी बी और जालोर ए से चुनाव लड़ा था. हालांकि जोधपुर में महाराजा हनवंत सिंह ने और जालोर ए में जागीरदार माधोसिंह ने जीत दर्ज की. खास बात ये है कि व्यास की हार भी बहुत बड़े अंतर से हुई थी. व्यास के चुनाव हारने के बाद टीकाराम पालीवाल ने 3 मार्च, 1952 को राज्य के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. हालांकि 1 नवंबर को किशनगढ़ से उपचुनाव जीतकर व्यास ने सीएम पद दोबारा संभाल लिया.
नहीं बनी थी कांग्रेस की सरकार
कहा जाता है कि उस वक्त कांग्रेस संख्याबल में ज्यादा मजबूत नहीं थी. वहीं दूसरी ओर अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों की अगुवाई कर रहे महाराजा हनवंत सिंह की हादसे में मौत हो गई. कहा जाता है कि अगर हनवंत सिंह की मौत नहीं होती तो वो सरकार बनाने में सफल हो सकते थे. बता दें कि कांग्रेस 160 में से 82 सीटों में जीत पाई, जबकि सामंती प्रभाव वाली पार्टियां और निर्दलीय विधायकों की संख्या 78 थी.

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