फ़ातिमा शेख़
प्रथम भारतीय मुस्लिम शिक्षिका थी,
जो सामाजिक सुधारकों
ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले की सहयोगी थी। फ़ातिमा शेख़ मियां उस्मान शेख
की बहन थी, जिनके घर में ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई
फुले ने निवास किया था, जब ज्योतिराव फुले के पिता ने अछूतों और
महिलाओं के उत्थान के लिए किए जा रहे कार्यों की वजह से उनके परिवार को घर से
निकाल दिया था।
फातिमा शेख
आधुनिक भारत में सबसे पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका थी और उन्होंने फुले के स्कूल
में अछूत बच्चों को शिक्षित करना शुरू किया। सवर्णों ने ज्योतिराव फुले और
सावित्रीबाई फुले, फातिमा शेख के साथ, अछूत समुदायों में शिक्षा फैलाने का आरोप लगाया।
फ़ातिमा शेख़ और
सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं और उत्पीड़ित जातियों के बच्चो को शिक्षा देना शुरू
किया, स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें धमकी दी गई। उनके परिवारों को
भी निशाना बनाया गया और उन्हें अपनी सभी गतिविधियों को रोकना या अपना घर छोड़ने का
विकल्प दिया गया ! उन्होंने स्पष्ट रूप से घर छोड़ने का चयन किया।
फूले दम्पत्ती को
उनकी जाति और उनके परिवार और सामुदायिक सदस्यों ने उन्हें उनके इस काम में साथ
नहीं दिया। उन्हें आस-पास के सभी लोगों द्वारा त्याग दिया गया ! फूले दम्पत्ती ने
आश्रय की तलाश में और अछूत समाज के उत्पीड़न के लिए अपने शैक्षिक सपने को पूरा
करने के लिए, अपनी खोज के दौरान, एक मुस्लिम समुदाय के उस्मान शेख के घर पहुंचे, जो पुणे के गंज पेठ में
रह रहे थे ! उस्मान शेख ने फुले दम्पत्ती को अपने घर में रहने की पेशकश की और
परिसर में एक स्कूल चलाने पर सहमति व्यक्त की तथा 1848 में उस्मान शेख और उसकी बहन
फातिमा शेख के घर में एक स्कूल खोला गया था।
कोई आश्चर्य नहीं
था कि पूना की ऊँची जाति से लगभग सभी लोग फ़ातिमा शेख और सावित्रीबाई फुले के खिलाफ थे, और सामाजिक अपमान के कारण उन्हें रोकने की भी कोशिश की गई । वह उस्मान शेख ही
थे जिन्होंने हर संभव तरीके से दृढ़ता से फूले दम्पत्ती का समर्थन किया।
फातिमा शेख ने
सावित्रीबाई फुले के साथ उसी स्कूल में पढ़ना शुरू किया ! फातिमा शेख के भाई
उस्मान शेख भी ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के आंदोलन से प्रेरित थे।
उस्मान शेख ने अपनी बहन फातिमा को समाज में शिक्षा का प्रसार करने के लिए
प्रोत्साहित किया।
जब फातिमा शेख और
सावित्रीबाई ने स्कूलों में जाना शुरू कर दिया, तो पुणे के लोग उनको
अपमानित करते थे । वे पत्थर फैंकते थे और गोबर व कीचड भी उन पर फैंका जाता था !
किन्तु फातिमा शेख सहित ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले ने हिम्मत नहीं हारी
और वे अपनी मंजिल की और बढ़ते चले गए और अपने लक्ष्य को हासिल किया !
माता फातिमा शेख
के योगदान को कभी नहीं भूला जा सकता ! उनके जन्म दिवस 21 सितम्बर के अवसर पर गोपाल
किरन समाजसेवी संस्था &
Team उन्हें करोडो बार सादर
नमन करते हैं !
(श्रीप्रकाश सिंह
निमराजे)
संस्थापक एवं
अध्यक्ष
गोपाल किरन
समाजसेवी संस्था
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