दिल्ली समाजहित
एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l जब मानव समाज में मानवीय सरोकारों से जुड़े विषयों के लिए
कोई स्थान सुरक्षित न हो । ऐसे समय में एक कवि ही है जो हर स्तर पर बेहद
सावधानीपूर्वक गढ़ी गई कविताओं के द्वारा सामाजिक कुरीतियों व राजनैतिक व्यवस्था पर
अपना स्पष्ट प्रतिरोध दर्ज कराता है l पाली के युवा कवि आदित्य मौर्य के पास व्यापक
सामाजिक अनुभव तो है ही प्रत्येक घटनाक्रम को देखने, समझने और अभिव्यक्त करने
की सूक्ष्म अंतरदृष्टि भी है यह अंतरदृष्टि ही कवि आदित्य मौर्य को अपने समकालीनों
से अलग बनाती है और विशिष्ट भी । कवि आदित्य मौर्य की अभिव्यक्ति में समाज विकास ही
सर्वोपरि होता है l कवि मौर्य ने युवाओ को एक सकारात्मक सोच प्रदान करते हुए लिखा
है :-
लोग क्या कहेंगे इसकी चिंता मत करो,
आपको क्या बनना है इस पर विश्वास करो…!!
मारवाड़ जंक्शन के छोटे से गांव कंटालिया के उभरते युवा कवि एवं मंच संचालक आदित्य मौर्य के साहित्य सृजन की प्रतिभा से आज हर कोई प्रभावित है l छोटी सी उम्र में अपनी साहित्य कला से इन्होंने समाज में फ़ैल रही कुरीतियों व अन्याय के विरुद्ध अपनी कविताओ के माध्यम से प्रहार कर समाज के लोगों को जागृत होने की प्रेरणा दी । हिंदी साहित्य के अध्यापक से मिली प्रेरणा के संदर्भ में गुरु के प्रति अपनी भावना को व्यक्त करते हुए कवि मौर्य ने लिखा :-
रखा जो हाथ सर पर, नया सवेरा कर दिया।
था आज तक मैं बस, गीली मिट्टी का लोंदा,
देकर आकार मुझे, पैरो पर खड़ा कर दिया।
आदित्य मौर्य बताते हैं कि “बचपन में मैंने जब
तुतलाती बोली भी ठीक से नही सीखी थी, तब मेरे सर से पिता का साया उठ गया था, जिसके कारण मुझे आर्थिक परिस्थितियों ने जकड़ लिया था, मुझे शुरू से ही कविता का लगाव था, मेरे दोस्त मेरी कविताओं
का मज़ाक बनाया करते थे, ऐसी कठिन परिस्थितियों में जब हर कोई हिम्मत हार जाता हैं,
मैंने हिम्मत नहीं हारी” l
कवि मौर्य द्वारा साहित्य एवं सामाजिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु देश की विभिन्न संस्थाओं ने उनको सम्मानित किया है । अभी हाल ही में रिलीज हुए अन्नदाता सॉन्ग के माध्यम से इन्होंने किसानों के दर्द एवं उनके संघर्ष को बड़ी मार्मिकता के साथ दर्शाया है । इसके अलावा प्रगतिशील समाज की वकालत करने वाले कवि मौर्य ने हर विषय अपनी मार्मिक रचनाओ से प्रबुद्धजनों को आकर्षित किया l
अल्फ़ाज़ो की मिट्टी से, महफ़िलों" को सजाता हूँ..
कुछ को बेकार तो कुछ को, कलाकार नज़र आता हूँ।।
कवि मौर्य पिछले 3 वर्षो से अपनी टीम के साथ मृत्यु भोज, दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों पर स्वरचित कविताओ के माध्यम से लोगों को जागृत किया एवं राजस्थान में जगह जगह समाज बंधुओं को मृत्युभोज ना करने की शपथ दिलवाई ।
जब हौसला बना लिया, ऊँची उड़ान का …,
फिर देखना फिज़ूल है, कद आसमान का ।
इस प्रकार युवा कवि मौर्य ने मुश्किलों को ही अपना हमसफ़र बनाकर एवं शिक्षा के साथ साथ अपनी आत्मीयता, निरभिमानी, स्वाभिमानता व संघर्षशीलता की अनूठी प्रतिभा के
बल पर समाज में विशेष भूमिका निभाते हुए अपनी एक विशेष पहचान बनाई और रैगर समाज का
नाम गौरवान्वित किया l
Supar nice
ReplyDeleteआप इसी तरह गांव परिवार समाज और देश का नाम रोशन करते रहो भैया आपको बहुत-बहुत बधाई
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