Tuesday, August 27, 2019

हरिजन शब्द को लिखने बोलने पर न्यायालय ने प्रतिबंध किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी हरिजन शब्द को आपराधिक माना है। केंद्र व केरल राज्य की सरकार भी अलग-अलग अध्यादेश द्वारा प्रतिबंध लगा चुकी है। हरिजन शब्द के प्रयोग पर संशोधित अनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार अधिनियम व भारतीय  दंड संहिता की धाराओं में केस दर्ज हो सकता है, व जाना पड़ सकता है जेल।
हरिजन शब्द का प्रयोग करने वाले लोगों व सरकारी काम काज में इसका इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज हो सकता है। महात्मा गांधी द्वारा भारत के अनुसूचित जाति व जनजाति समुदाय के लोगों के लिए उपयोग किए गए शब्द हरिजन का प्रयोग करना अब महंगा पड़ सकता है। नेशनल एलाइंस फॉर दलित हुमन राइट्स के संयोजक व दलित राइटस एक्टिविस्ट, अधिवक्ता रजत कल्सन ने बताया कि महात्मा गांधी द्वारा देश के अनुसूचित जातिव जनजाति वर्ग के लिए इज़ाद किए गए शब्द हरिजन का शुरू से ही विरोध रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का अनुसूचित जाति व जनजाति समुदाय शुरू से ही इस शब्द को अपने लिए अपमान जनक मानता आ रहा है तथा इस पर रोक लगाने के लिए आजादी के बाद से ही आवाज उठनी शुरू हो गई थी। भारत की राष्ट्रपति ने भारत सरकार के सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय के पत्र दिनांक 22-11-12 व क्रमांक 17020/64/2010 / SCD (RL CELL) के मार्फत सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को सर्कुलर जारी कर हरिजन शब्द के सरकारी काम काज में इस्तेमाल पर तुरंत रोक लगाने के आदेश दिए हुए हैं। इसी के साथ सन 2008 में केरल सरकार भी हरिजन शब्द के इस्तेमाल पर पूर्णतया रोक लगा चुकी है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की मोहर भी लग गई है । सुप्रीम कोर्ट ने एक ताजा मामले क्रिमिनल अपील नम्बर 570/17 में मंजू सिंह बनाम ओंकार सिंह आहलूवालिया में 24 मार्च 2017 को आरोपी ओंकार सिंह अहलूवालिया द्वारा हरिजन शब्द के इस्तेमाल पर दर्ज हुए मुकदमे में हाई कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार की धारा 18 में अग्रिम जमानत पर प्रतिषेध के बावजूद जमानत दिए जाने के आदेश को खारिज करते हुए हरिजन शब्द के इस्तेमाल पर कड़ी टिप्पणी की तथा बैंच ने कहा किइस बात का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हरिजन शब्द का इस्तेमाल उच्च जाति के लोगों द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों को नीचा दिखाने व अपमानित करने के लिए किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हरिजन शब्द का प्रयोग अपमान जनक के साथ-साथ आपराधिक भी है, इसलिए इस तरह के मामलों में अपराधी को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हरिजन शब्द का इस्तेमाल जानबूझकर एक जाति विशेष को नीचा दिखाने व अपमानित करने के लिए किया जा रहा है । सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा किदेश का नागरिक होने के नाते हमें एक बात अपने दिल और दिमाग में रखनी चाहिए कि हम देश के किसी भी नागरिक को इस तरह की भाषा का प्रयोग कर नीचा दिखाना या अपमानित नहीं कर सकते अगर ऐसा करते हैं तो यह आपराधिक होगा।
इन दिनों पुलिस व सरकारी अधिकारियों द्वारा सरकारी कामकाज में भारत सरकार के उपरोक्त निर्देश व सुप्रीम कोर्ट की उपरोक्त जजमेंट के बावजूद हरिजन शब्द का धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है तथा सरकारी अधिकारी तथा लोग जानबूझकर सरकारी आदेशों व कोर्ट के आदेशों की आपराधिक अवहेलना कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि यदि उनके संज्ञान में इस तरह का कोई मामला आता है कि सरकारी या पुलिस विभाग का कोई कर्मचारी या अधिकारी अपने सरकारी कामकाज में हरिजन शब्द का प्रयोग कर रहा है तो वह उसके खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराने का काम करेंगें। इस शब्द का इस्तेमाल करने पर उसके खिलाफ एससी एसटी एक्ट की धारा 3(1) (आर) (एस) (यू) व आईपीसी की धारा 295 A व 505 के तहत मुकदमा दर्ज हो सकता है तथा इसमें जेल भी जाना पड़ सकता है तथा अपराध साबित होने पर आरोपी को कम से कम 5 साल तक की सजा भी हो सकती है। उन्होंने दलित समाज को संदेश दिया कि यदि उनके मामले में इस तरह का कोई मामला संज्ञान में आता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का काम करें ताकि इस तरह के शब्द के प्रयोग करने वालों पर लगाम लगाई जा सके।
 केंद्र सरकार ने 1990 में कल्याण मंत्रालय (अब सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय) की एक अधिसूचना को फिर से जारी किया है, जिसमें दलित वर्गों को अनुसूचित जाति के रूप में संबोधित करने का निर्देश है।
दरअसल, मोहन लाल माहौर ने दलित शब्द पर आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया था कि संविधान में इस शब्द का कोई उल्लेख नहीं है। इस वर्ग से जुड़े लोगों को अनुसूचित जाति अथवा जनजाति के रूप में ही संबोधित किया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक पराशर का कहना है कि यह आदेश मध्य प्रदेश में लागू हो चुका है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने तर्क दिया है कि 10 फरवरी, 1982 को गृह मंत्रालय ने राज्यों को दिये निर्देश में कहा था कि अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करते समय संबंधित पत्र में ‘हरिजन’ शब्द हर्गिज ना लिखा जाए। साथ ही राष्ट्रपति के आदेश के तहत ‘अनुसूचित जाति’ के रूप में उनकी पहचान का उल्लेख करने को कहा था। 18 अगस्त 1990 में मंत्रालय ने राज्य सरकारों से शेड्यूल्ड कास्ट (एससी) के अनुवाद के रूप में  में ‘अनुसूचित जाति’ उपयोग करने का अनुरोध किया था।
जबकि व्यापक दलित समुदाय इस शब्द का पक्षधर है। इस संबंध में  दलित विचारक चंद्र भान प्रसाद कहते हैं कि “लोग नहीं चाहते हैं कि उन्हें अनुसूचित जाति का कहा जाए बल्कि ‘दलित’ ही कहा जाए। सरकार का संविधान के हवाले से कहना लोगों को भ्रम में डालना है। असल बात यह है कि दलित शब्द से सरकार डरती है।”
केरल के सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक सनी एम. कपिकड ने कहा कि “इस शब्द पर प्रतिबंध लगाकर, वे दलितों द्वारा बनायी गयी बड़ी जगह और ताकत को दूर करना चाहते हैं। हमारे लिए दलित का अर्थ टूटे, बिखरे, निराश और उत्पीड़ित समाज से है।”
इसी प्रकार, जाने माने लेखक और दलित कार्यकर्ता एएस अजीत कुमार मानना है कि “दलित समाज पहले ही इनकी जगह हरिजन और गिरिजन जैसे शब्दों को रिप्लेस करने की कोशिश को राजनीतिक और विचारधारात्मक आधार पर खारिज कर चुका है। दलित आह्वान से हमारा समुदाय एक आवाज देकर सड़कों पर हकों की लड़ाई के लिए आता है, सरकारें नहीं चाहती हैं कि उनमें एकता दिखे।”
सामाजिक कार्यकर्ता रेखा राज भी कहती हैं “किसी भी राज्य को केंद्र की सोच के अनुसार चलने की जरूरत नहीं है। लेकिन इसके उलट, केरल के बाद राजस्थान और अब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकारों ने शासनादेश लाकर कागजों और व्यवहार में दलित शब्द को बैन किया है।”
बोलचाल में अक्सर लोगों को जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए सुना जाता रहा है। लेकिन अब बोलचाल और लिखित में दलित शब्द के प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने सभी राज्यों के प्रमुख सचिवों को लिखित आदेश दिए हैं कि अब सरकारी स्तर पर या कहीं भी दलित शब्द का प्रयोग वर्जित होगा।
यही नहीं सरकारी पत्रावली से लेकर किसी भी दस्तावेज में दलित शब्द का प्रयोग करने पर रोक लगा दी गई है। केंद्र ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के 21 जनवरी को दिए आदेशानुसार सरकारी दस्तावेजों और अन्य जगहों पर दलित शब्द के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई थी।

रिक्शा चालक का बेटा बना IAS, 21 साल में देश का सबसे युवा ‘DM’ बन रचा नया इतिहास

कठिनाइयां कितनी भी हो, जब लक्ष्य को पाने की चाहत प्रबल हो तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको आपके मंज़िल तक पहुँचने से नहीं रोक सकता। यह सिर्फ कहने की बात नहीं है बल्कि एक सच्चाई है। हमारे समाज में ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक चुनौतियों का सामना करते हुए लोग सफलता की कहानी लिखे हैं। हमारी आज की कहानी भी एक ऐसे ही शख्स के इर्द-गिर्द घूम रही है, जिन्होंने बचपन से ही चुनौतियों का सामना किया और हार ना मानते हुए अपने-आप को इसका मुकाबला करने के काबिल बनाया। आज वह शख्स हमारे बीच एक सफल प्रशासनिक ऑफिसर के रूप में विराजमान हैं।
मराठवाड़ा के शेलगांव में पैदा लिए अंसार शेख देश के सबसे युवा आईएएस ऑफिसर में से एक हैं लेकिन उनके संघर्ष की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। उनके पिता ऑटो रिक्शा चलाते और माँ खेतिहर मजदूर थी। बचपन से ही दो जून की रोटी के लिए संघर्ष करते हुए वे बड़े हुए। एक सूखाग्रस्त इलाका होने की वजह से यहाँ खेती भी सही से नहीं हो पाती थी। गाँव के ज्यादातर लोग शराब की शिकार में डूब चुके थे। अंसार के पिता भी हर दिन शराब पीकर आधी रात को घर आते और गाली-गलौज करते। इन सब के बीच पले-बढ़े अंसार ने छोटी उम्र में शिक्षा की अहमियत को पहचान चुके थे। दिनों-दिन चरमराती आर्थिक स्थिति को देखते हुए लोगों ने उनके पिता ने उनकी पढ़ाई छुड़वा देने के लिए कहा।
उस दौर को याद करते हुए अंसार कहते हैं कि “जब मैं चौथी कक्षा में था, तब मेरे रिश्तेदारों ने पिता पर मेरी पढ़ाई छुड़वा देने का दबाव डाला।” अंसार बचपन से ही एक मेधावी छात्र थे। जब उनके पिता ने उनकी पढ़ाई बंद करवाने के लिए शिक्षक से संपर्क किया तो, सबने उनके पिता को बहुत समझाया कि यह बच्चा होनहार है और इसमें आपके परिवार की परिस्थिति तक बदलने की ताकत है। उसके बाद पिता ने उन्हें कभी पढ़ाई-लिखाई के बारे में कुछ नहीं कहा। इससे अंसार को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में और मज़बूती मिली।
अंसार बताते हैं कि जब वे जिला परिषद के स्कूल में पढ़ते थे तो, मिड डे मील ही भूख मिटाने का जरिया हुआ करता था। यहाँ भोजन में उन्हें अक्सर कीड़े मिलते थे, लेकिन फिर भी भूख मिटाने के लिए उन्हें उसका ही सहारा लेना होता था। समय बीतता गया और बारहवीं में उन्होंने 91 फीसदी अंक के साथ परीक्षा पास की। यह उनके सफलता का पहला पायदान थी। बारहवीं में उनके अभूतपूर्व प्रदर्शन ने न सिर्फ उनके परिवारवालों का विश्वास जीता बल्कि पूरे गाँव में लोग उन्हें एक अलग ही नज़र से देखने लगे।
मराठी माध्यम से पढ़ाई करने और पिछड़े माहौल में रहने के कारण अंसार की सबसे बड़ी कमजोरी उनकी अंग्रेजी थी। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। घरवालों की सहायता से उन्होंने पुणे के नामचीन फर्गुसन कॉलेज में दाखिला लिया। उनके पिता हर महीने आय का एक छोटा हिस्सा उन्हें भेजते, उसी से उनका गुजारा चलता था। कॉलेज के पहले वर्ष ही उन्हें यूपीएससी परीक्षा के बारे में जानकारी मिली और फिर क्या था उन्होंने इसे ही अपना लक्ष्य बना लिया। उन्होंने भरपूर मेहनत की और साल 2015 में रिजल्ट घोषित हुए तो उनकी मेहनत का साक्षी हर कोई था। उन्होंने 21 वर्ष की उम्र में अपने पहले प्रयास में ही सफलता हासिल कर ली और देश के करोड़ों युवाओं के सामने मिसाल पेश की।
परिस्थितियों का हवाला देकर जो लोग अपने लक्ष्य का त्याग कर देते हैं, अंसार शेख की सफलता उनके लिए एक मिसाल के तौर पर है। यदि पूरी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ें तो सफलता अवश्य हासिल होगी।

Monday, August 26, 2019

रैगर युवा प्रगतिशील संगठन (पंजी०) के तत्वाधान में "लक्ष्य" जी की 112वीं जयंती मनाई गई


दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l रैगर युवा प्रगतिशील संगठन (पंजी०) के तत्वाधान में रैगर रत्न त्यागमूर्ति स्वामी आत्माराम "लक्ष्य" जी के 112वें अवतरण दिवस पर शनिवार 24 अगस्त को स्वामी आत्मा राम लक्ष्य पार्क बीडन पुरा मे जन्म महोत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया l जिसमे दिल्ली के विभिन्न क्षेत्र की सामाजिक संस्थाओ के पदाधिकारीगण उपस्थित हुए और सभी ने रैगर रत्न त्यागमूर्ति आत्माराम "लक्ष्य" जी की प्रतिमा पर श्रृद्धा सुमन अर्पित कर नमन किये ।
इस दौरान स्वामी आत्मा राम लक्ष्य पार्क परिसर में एक दिवसीय निशुल्क चिकित्सा जाँच शिविर का आयोजन किया गया। डॉ. अशोक कुमार खोरवाल (MBBS,MD)¨ एवं जनरल चिकित्सक डॉ. संदीप धुडिया (MBBS) ने लोगों का स्वास्थ्य जांच किया । स्वास्थ्य जांच शिविर में अधिक से अधिक डाईबिटिज के रोगियों की जांच की गई । 
कार्यक्रम का आरंभ, समारोह में आये सभी अतिथियों, समाज की संस्थाओं के गणमान्य व्यक्तियों ने रैगर रत्न त्यागमूर्ति स्वामी आत्माराम लक्ष्य की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। श्रृद्धासुमन अर्पित करने के उपरांत अतिथियों का शाल व अंग वस्त्र भेंटकर सम्मान किया गया।
समाजसेवी कन्हैयालाल सीवाल ने कहा कि स्वामी आत्माराम "लक्ष्य" जी ने समाज में शिक्षा का अलख जगाते हुए लोगों की अंतरात्मा को जागृति प्रदान की । उन्होंनें कहा की स्वामी आत्माराम "लक्ष्य" जी का सपना था कि, रैगर समाज शिक्षा के क्षेत्र में भारत में एक समृद्ध उचाई तक पहुंचे । इनका जीवन और कार्य आज समाज सेवा के क्षेत्र के लिए प्रेरणा श्रोत है। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने में लगा दिया l आज हम उनको इसीलिए याद करते है l
कृष्ण कुमार सीवाल समाजशास्त्री दिल्ली ने अपने संदेश में कहा आज कृष्ण जन्माष्टमी है बताया जाता है कि इसी दिन सन उन्नीस सौ सात ईसवी में स्वामी आत्माराम लक्ष्य जी का जन्म इसी धरती पर हुआ । भगवान कृष्ण का जन्म भी इसी धरती पर आज ही के दिन हुआ । मैं भगवान कृष्ण और स्वामी आत्माराम लक्ष्य जी की कार्यशैली में एक समानता देखता हूं कि कृष्ण का नाम महाभारत का युद्ध टालने में उनके द्वारा की गई कड़ी मेहनत के बावजूद भी युद्ध होने की सूरत में युद्ध जीतने के लिए की गई कड़ी मेहनत के लिए जाना जाता है । इसी प्रकार स्वामी आत्माराम लक्ष्य का जन्म भी शायद समाज में फैली कुरीतियों, अशिक्षा और व्यापक रूढ़िवादिता को मिटाने के लिए भूखे रहकर भी ना थकने वाली मेहनत के लिए जाना जाता है । समाज में कुरीतियां और अंधविश्वास मिटाने के लिए घर-घर संदेश पहुंचाते पहुंचाते स्वामी आत्माराम लक्ष्य का शरीर भी जर्जर हो गया था परंतु ललाट पर एक विश्वास की आस जो अंत तक चमकता रहा और खूब मेहनत करो,मेहनत से ही सफलता मिलेगी, उच्च दर्जे की शिक्षा हासिल करो ताकि उसके बाद हर क्षेत्र में आप सफल हो पाएंगे ,अच्छे संस्कार अर्जित करो, अंधविश्वास में मत पड़ो, पत्थर पूजन से कुछ नहीं मिलेगा, किताबें पढ़ने से शिक्षित बनोगे और सामाजिक समरसता आएगी तो भेदभाव अपने आप ही मिटने लगेंगे के संदेश समाज के लोगो को देते रहे l
उन्होंने समाज में व्यापक मृत्यु भोज गंगोज,पशु बलि (जो कुछ मूर्ख लोग आज भी कर रहे हैं ) तथा बाल विवाह और दहेज प्रथा आदि बुराइयों के दुष्परिणामों का सत्संगों के जरिए समाज में प्रचार प्रसार किया और आजीवन इन रूढ़ीवादी प्रथाओं को समाप्त करने की समाज से अपील करते रहे हालांकि स्वर्ण समाज द्वारा उन्हें बहुत यातनाएं सहनी पड़ी मगर लक्ष्य अपने लक्ष्य पर अडिग रहे । मैं उन्हें भगवान का अवतार ही मानता हूँ l उन्होंने समाज में व्यापक मृत्यु भोज गंगोज,पशु बलि (जो कुछ मूर्ख लोग आज भी कर रहे हैं ) तथा बाल विवाह और दहेज प्रथा आदि बुराइयों के दुष्परिणामों का सत्संगों के जरिए समाज में प्रचार प्रसार किया और आजीवन इन रूढ़ीवादी प्रथाओं को समाप्त करने की समाज से अपील करते रहे हालांकि स्वर्ण समाज द्वारा उन्हें बहुत यातनाएं सहनी पड़ी मगर लक्ष्य अपने लक्ष्य पर अडिग रहे । अंत में आपसे अपील करना चाहता हूं कि वह दिन दूर नहीं जब हम सब पानी के लिए तरस जाएंगे क्योंकि हम सभी पानी का खूब दुरुपयोग कर रहे हैं हम अपनी टंकियों के ओवरफ्लो को रोक नहीं रहे हैं जिसके कारण काफी मात्रा में पानी यूं ही बह जाता है। याद रखें पानी बचाया तो जा सकता है परंतु बनाया नहीं जा सकता। अतः पानी को जरूरत के मुताबिक ही खर्च करें ।
समारोह में करोलबाग क्षेत्र के विधायक विशेष रवि, निगम पार्षद बबिता भारीजा, अखिल भारतीय रैगर महासभा (पंजी) के राष्ट्रीय सचिव गंगाराम बारोलिया, पूर्व महासचिव चत्तर सिंह रछौया, दिल्ली प्रान्तीय रैगर पंचायत के प्रधान प्रदीप चान्दोलिया, उपाध्यक्ष चंद्रकांता सीवाल, महामंत्री परमानंद जाजोरिया, मन्त्री गोपाल पिंगोलिया, कोषाध्यक्ष नवीन कुरडिया, पूर्व प्रधान कन्हैया लाल सीवाल,ओमप्रकाश पिंगोलिया, वरिष्ठ समाजसेवी ईश्वर लाल दोतानिया (सुल्तान पुरी), वरिष्ठ समाजसेवी रोहतास कुमार बारोलिया (मंगोलपुरी), पत्रकार रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया (ज्वालापुरी), माधोप्रसाद जाजोरिया, क्षेत्रपाल कुर्डिया, विजय तोंगरिया, प्रभात मौर्या, जवाहर उज्जीनिया,गनपत मोहनपुरिया, धर्मेन्द्र दोतानिया, ओमप्रकाश कनखेडिया, पृथ्वीराज डीगवाल, पृथ्वीराज बारोलिया, रोशन कनवाडिया, रविन्द्र कनवाडिया, हरनारायण कांसोटिया, अखिल भारतीय रैगर महासभा (पंजी) दिल्ली प्रदेश महिला अध्यक्ष सुनीता चांदोलिया, गंगा पुत्र रैगर महासंघ, महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय महामन्त्री अनीता धूङिया सहित विभिन्न सामाजिक संगठन के समस्त पदाधिकारीगण व समाज के अन्य गणमान्य महिला व पुरुष उपस्थित थे l
कार्यक्रम का मंच संचालन विजय अटल (संरक्षक रैगर युवा प्रगतिशील संगठन पंजीकृत) व सहसंचालक लेखराज चान्दोलिया ने किया। अन्त में विजय अटल ने समारोह में उपस्थित सभी आगुन्तको का धन्यवाद करते हुए सभी को जलपान के लिए आमन्त्रित किया।

डॉ० सागर गाड़ेगांवलिया को एंबुलेंस की आपातकालीन सेवा में उत्कृष्ट कार्य के लिए मिला सम्मान


दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l पंजाब के संगरूर जिले के लेहरागागा में आजादी का पर्व 73वां स्‍वतंत्रता दिवस का समारोह भव्य और शानदार ढंग से मनाया गया । जिसमे सूबा सिंह S.D.M ने ध्वजारोहण किया l इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले नागरिक, समाजसेवी संस्थाएं, छात्र,खिलाड़ी व सरकार के सेवकों को सम्मानित किया गया । आजादी के जश्‍न में लेहरागागा के लोग सराबोर नजर आए। गलियों से लेकर चौक चौराहों को सजाया गया था। राष्‍ट्रध्‍वज को देखते ही सलामी देते लोग देभभक्ति से ओतप्रोत नजर आ रहे थे ।
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विशेष अवसर पर पुरस्कार देने का उद्देश्य लोगो में समाज/ समुदाय के प्रति जिम्मेदारी की भावना को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना है और साथ ही एक अच्छे नागरिक के रूप में उनकी अपनी क्षमता में सुधार करना है । पुरस्कारों में तरजीह उन लोगों को दी गई, जो किसी न किसी तरह से अपने नेक कार्यों से देश की सेवा और आने वाली पीढ़ी के लिए बेहतरीन मिसालें कायम कर रहे हैं।
इस अवसर पर बरेठा निवासी डॉक्टर सागर गाड़ेगांवलिया पुत्र मोती राम गाड़ेगांवलिया को असहाय मरीजो व गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस की आपातकालीन सेवा के दौरान लगन और समर्पण भाव के साथ इलाज का कार्य करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने पर सब डिवीज़नल मजिस्ट्रेट सूबा सिंह (S.D.M.)हरागागा द्वारा स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया ।
इस मौके पर एस डी एम सूबा सिंह ने सम्मानित होने वाले सभी अधिकारियों, कर्मचारियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं व अन्य व्यक्तियों को उत्कृष्ट कार्य करने के लिए बधाई दी और विश्वास जताया कि वे भविष्य में भी अपनी सेवाएं बेहतर तरीके से देंगे ।


Sunday, August 25, 2019

रैगर रत्न त्यागमूर्ति स्वामी आत्मा राम लक्ष्य जी की जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई



दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l रैगर समाज के आदर्श व प्रणेता रैगर रत्न त्यागमूर्ति स्वामी आत्मा राम लक्ष्य जी के 112 वे जन्मोत्सव व झुंझुनू व चुरू (राज्स्थान) मे तीन अभावग्रस्त परिवारों को आर्थिक सहयोग देने वाले दानदाताओं का सम्मान हेतु स्वामी आत्माराम लक्ष्य जन्मोत्सव समारोह समिति द्वारा रविवार 18 अगस्त को रैगर चौपाल रतिया वाली प्याऊ करोलबाग दिल्ली मे भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया l

स्वामी आत्माराम लक्ष्य जन्मोत्सव समारोह समिति द्वारा रैगर समाज के आदर्श व प्रणेता रैगर रत्न त्यागमूर्ति स्वामी आत्मा राम लक्ष्य जी के 112 वे अवतरण दिवस को रैगर चौपाल रतिया वाली प्याऊ करोलबाग दिल्ली मे बड़ी धूमधाम से मनाया गया । जिसमे रैगर समाज की संस्थाओ के गणमान्य महानुभवों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हुए जय गंगा माई और रैगर समाज के जयकारे लगाए। समाज के गणमान्य महानुभवों ने त्यागमूर्ति स्वामी आत्मा राम लक्ष्य जी की चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किए और सभी वक्ताओं ने उनके जीवन पर प्रकाश डाला। सभी से स्वामी आत्मा राम लक्ष्य जी के प्रति समर्पित भाव रखने व उनके द्वारा सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने की बात कही ।

संस्था के अध्यक्ष योगेन्द्र चांदोलिया ने अपने संबोधन में कहा कि त्यागमूर्ति स्वामी आत्मा राम लक्ष्य जी हमारे समाज के ऐसे रत्‍न है जिनका समाज हमेशा आभारी रहेगा इनके सदकर्मों एवम् महान कार्यों ने समाज का मान-सम्‍मान बढ़ाया है ओर समाज को एक नई दिशा और प्रगति प्रदान की है l स्वामी जी ने अपना पूरा जीवन समाज की सेवा में समर्पित करते हुये अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया । आज समाज उनके सदकर्मों एवम् महान कार्यों को याद कर गौरवान्वित महसूस करता है l आज आवश्यकता है कि समाज आत्मा राम लक्ष्य जी के बताये गए मार्ग का अनुसरण करें, यही सही मायने में सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
कार्यक्रम के अंत में झुंझुनू व चुरू (राज्स्थान) मे 3 अभावग्रस्त परिवारों को आर्थिक सहयोग देने वाले दानदाताओं को स्वामी आत्माराम लक्ष्य जन्मोत्सव समारोह समिति की ओर से योगेन्द्र चांदोलिया ने प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया ।


डॉ० जगदीश प्रसाद गाडेगांवलिया को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सम्मानित किया गया



दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l जयपुर में स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर सवाई मान सिंह  स्टेडियम में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में आरएएस अधिकारी डॉ जगदीश प्रसाद गाडेगावलिया (राज्य समन्वयक) को उत्कृष्ठ सेवाओं के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा राज्य स्तरीय योग्यता पुरूस्कार स्वरूप प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक डॉ.जगदीश प्रसाद गाड़ेगांवलिया मूलत: झुंझुनूं जिले के सूरजगढ कस्बे के रहने वाले हैं और राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा बैच-2010 के चयनित अधिकारी है। डॉ. प्रसाद राजस्थान राज्य प्रशासनिक सेवा में आने से पूर्व पशु चिकित्सा अधिकारी के रुप कार्यरत रहे है। वर्तमान में निदेशालय महिला अधिकारिता, जयपुर में राज्य समन्वयक के रूप में पदस्थापित हैं।
महिलाओ का सामाजिक आर्थिक सशक्तिकरण विभिन्न सरकारी योजनाओ व कार्यक्रमों के द्वारा संभव बनाने के लिए डॉ.जगदीश प्रसाद गाड़ेगांवलिया ने भारत के प्रथम कन्वर्जेन्स पायलेट प्रोजेक्ट मिशन पूर्ण शक्ति से पाली जिले में सफल बनाने में इनका प्रयास सराहनीय रहा हैं l इसी परियोजना के कार्यक्रमों व गतिविधियों के आधार पर भारत सरकार द्वारा ’’बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’’ की योजना बनाकर सभी राज्यों में कार्य प्रारम्भ किया गया । बेटी बचाओं बेटी पढाओं योजना का राज्य में सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य नोडल अधिकारी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।
हिंसा व उत्पीडऩ की शिकार महिलाओं को राहत व न्याय सुलभ कराने के लिए डॉ. जगदीश प्रसाद गाड़ेगांवलिया के प्रयासों से भारत के प्रथम रोल मॉडल केन्द्र ’’अपराजिता’’ की नींव रखी गई। राजस्थान की फ्लेगशीप योजना, मुख्यमंत्री राजश्री योजना के निर्माण में मुख्य सुत्रधार डॉ. जगदीश प्रसाद ही है।
वर्ष 2017 में अंतरराष्ट्रीयमहिला दिवस पर विभाग में उत्कृष्ठ सेवाओं के लिए सर्वश्रेष्ट अधिकारी के रूप में महिला एवं बाल विकास मंत्री द्वारा राज्य स्तरीय पुरूस्कार से डॉ.जगदीश प्रसाद गाड़ेगांवलिया को सम्मानित किया जा चुका है l भारत सरकार द्वारा घोषित योजनाओ को राजस्थान में सफल क्रियान्वयन कर राजस्थान को राज्यों में सर्वश्रेष्ट श्रेणी में सम्मानित करने के लिए तीसरी बार चयननीत किया गया है l

Monday, August 19, 2019



दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l  जालोर के सांचौर निवासी बीएसएफ धावक गोवा राम मेघवाल ने चीन में 8 अगस्त से 18 अगस्त 2019 तक आयोजित वर्ल्ड पुलिस & फायर गेम्स 2019 में दौड़ प्रतियोगिता मे बेहतर प्रदर्शन कर पाँच पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है l
प्राप्त जानकारी के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय धावक गोवा राम का गाँव जालोर जिले में कांटोंल है,उनके पिता का नाम जोइता राम है तथा माता मोरी देवी हैं l उनके परिवार में पत्नी संगीता देवी और दो बच्चे पुत्र जिगर एवं पुत्री जीनल है l

चीन में आयोजित इस दौड़ प्रतियोगिता में गोवा राम मेघवाल ने पांच पदक जीते, वो इस प्रकार है –पहला स्वर्ण पदक - पांच किलोमीटर रेस वाक प्रतियोगिता l
दूसरा टीम स्वर्ण पदक - दस किलोमीटर क्रोस कंट्री प्रतियोगिता l
तीसरा सिल्वर मेडल - तीन हजार मीटर स्टीपलेचासे प्रतियोगिता l
चौथा ब्रोंज़े मेडल - पांच हजार मीटर रन प्रतियोगिता l
पांचवां ब्रोंज़े मेडल - दस हजार मीटर रन प्रतियोगिता l

उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय धावक गोवाराम मेघवाल अगस्त 2017 में अमेरिका में आयोजित वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स में चार मेडल जीत चुके हैं l अखिल भारतीय पुलिस खेल 2017 देहरादून में पांच किलमीटर में सिल्वर मेडल एवं दस किलोमीटर में सिल्वर मेडल तथा नेशनल क्रॉस कंट्री 2018 में टीम ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त कर चुके हैं l
गोवा राम के माता पिता किसान है, जो आज भी अपने गाँव में रहते हैं l गोवाराम की प्राथमिक शिक्षा पैतृक गांव कंट्रोल मे एवं उच्च प्राथमिक शिक्षा दांता के सरकारी स्कूल में एवं सीनियर शिक्षा सांचौर के सरकारी स्कूल में एवं कॉलेज राजकीय कॉलेज जालोर में संपन हुई l सीमा सुरक्षा बल मे 2005 में सेवा शुरू की । वर्तमान में गोवा राम दिल्ली में सीमा सुरक्षा बल में सेवा दे रहे है ।

Saturday, August 17, 2019

शाह इंटरनेशनल स्कूल, अम्बिका विहार में भूकंप आपदा की मॉक ड्रिल का आयोजन


डिवीज़नल वार्डन रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया की रिपोर्ट 


खासकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भूकंप के खतरे के लिहाज से सिस्मिक जोन-4 में आता है l इसलिए दिल्ली में भूकंप जैसी आपदा के प्रभाव को कम नहीं किया जा सकता लेकिन आमजन को जागरुक करके आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है l आपदाओं से बचाव हेतु आम नागरिको व बच्चो को जागरुक करने के उद्देश्य से शुक्रवार 09 अगस्त 2019 को दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट और दिल्ली सिविल डिफेंस डिस्टिक वेस्ट की तरफ से मियांवाली नगर डिवीज़न क्षेत्र के अंतर्गत पश्चिम विहार स्थित शाह इंटरनेशनल स्कूल, अम्बिका विहार में भूकंप आपदा की मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया l
शुक्रवार 09 अगस्त 2019 को प्रात: 10 बजकर 56 मिनट पर दिल्ली के पश्चिम विहार स्थित शाह इंटरनेशनल स्कूल, अम्बिका विहार में तीव्र गति के भूकंप से स्कूल को नुकसान पहुँचने की सुचना प्राप्त हुई l खतरे के सायरन बजने शुरू हो गए l राहत व बचाव कार्य के लिए पहुँचने वाले विभाग का विवरण निम्न प्रकार से है :-
क्र.स.
आपदा राहत एजेंसियों का विवरण
अधिकारी का नाम व पद
अन्य विभागीय स्टाफ का विवरण
वाहन विवरण
रिपोर्टिंग समय
1.
DELHI CIVIL DEFENCE
श्री एसआर कोशिक DY.CW
श्री रघुबीर सिंह (DW)
21 सिविल डिफेन्स वालंटियर्स  
निजी बाइको से
11.10
2.
DDMA
श्री मोहित शर्मा DPO
श्री मिर्ज़ानुर अंसारी PC
श्री बलविन्द्र सिंह
DL1CP0386
11.14
3.
DELHI CIVIL DEFENCE
श्री भूपेन्द्र सिंह (CW)
श्री सुनील त्यागी DY.CW
श्री P.S. गुलाटी DW
श्री बाल किशन DDW
श्री ए.के ढींगरा DPW
श्री नवदीप सिंह SW
निजी वाहन व बाइको से
11.15
4.
BAJAJ MEDICAL
CENTRE
नीलम सिंह
रूचि

11.15

FIRST AID
शाह इंटरनेशनल स्कूल
04 सदस्य

11.15
5.
P.C.R.
S.I. शिशुपाल 5163 D
A.S.I. ओमप्रकाश 3106
CT.मुबारक सिंह 7571
DL1C1058
11.18
6.
ST.JOHN
श्री अवतार सिंह


11.18
7.
S.H.O.
श्री मुकेश कुमार
CT.सुमित,सुरेन्द्र

11.19
8.
D.FIRE S
श्री सुंदर शेरावत
06 सदस्य
SWT64
11.20
9.
MEDICAL TEAM
डॉ० गोसाईं (ग्लोबल हॉस्पिटल)
08 सदस्य
DL1A2046
11.23
10.
BSES
श्री आकास HT ब्रेकडाउन
रजनीश,राजसिंह
DL6M6188
11.24
11.
PWD
श्री राजेश कुमार JE
प्रमोद +04 वर्कर्स

11.30
12.
DDMA
श्री जोगेंद्र सिंह ड्राईवर
श्री अनिल हेल्पर
JCB
11.42
13
SPECIAL
CELL POLICE
श्री राधाकृषण ASI


12.06

भूकम्प आपदा की मॉक ड्रिल में सभी इमरजेंसी सेवाओं के सभी कर्मचारियों के अलावा सिविल डिफेंस एवं पुलिस की टीमों ने क्षतिग्रस्त बहु मंजिला स्कूल इमारत से घायलों को बाहर निकालने और राहत पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई । इस मॉक ड्रिल के ऑपरेशन के दौरान क्षतिग्रस्त बिल्डिंग के ब्लाक में से कुल 19 घायल बच्चो व व्यक्तियों को प्रशासन द्वारा ग्राउंड में स्थपित राहत केंद्र में पहुचाकर डॉक्टर्स ने तुरंत प्राथमिक उपचार किया और जाँच के बाद 08 गंभीर घायलों को DDMA व ग्लोबल हॉस्पिटल की एम्बुलेंस से नजदीक के ग्लोबल हॉस्पिटल में भेज दिए गए l
इस मोक ड्रिल में दिल्ली सिविल डिफेंस के चीफ वार्डन श्री भूपेंद्र सिंह जी, श्री सुनील त्यागी जी, श्री एस.आर. कोशिक जी, डिवीज़नल वार्डन श्री रघुवीर सिंह गाड़ेगांवलिया, श्री प्रीतम सिंह गुलाटी, डिप्टी डिवीज़न वार्डन श्री बालकिशन जी,श्री एके ढींगरा डिप्टी पोस्ट वार्डन वार्डन, श्री नवदीप सिंह जी सेक्टर वार्डन व 50 वालंटियर्स सहित सभी लोगो का भरपूर योगदान रहा ।