रैगर छात्रावास
जयपुर को लेकर आप हम सभी समाज के वयोवृद्ध डॉ. पी.एन. रछौया की पुस्तक रैगर जाति
की उत्पत्ति व सम्पूर्ण इतिहास के अध्याय 31का अध्ययन करते हैं।
अखिल भारतीय रैगर
महासभा श्री गंगा मंदिर रैगरपुरा चौक, आर्य समाज रोड़ , करोल बाग दिल्ली
रैगर समाज के विकास में अग्रसर और कार्यरत रही जिस कारण ही वर्ष 1984 में जब रैगर समाज के कर्मठ व झुंझारू नेता
स्व. श्री धर्मदास शास्त्री तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इन्दिरा गांधी को अखिल
भारतीय रैगर महासभा के महासम्मेलन जयपुर में लेकर आये थे तो उन्होंने रैगर
छात्रावास व धर्मशाला के लिए राजस्थान सरकार व्दारा भूमि आंवटन की मांग रखी थीं
जिसे श्रीमति इन्दिरा गांधी ने अखिल भारतीय रैगर महासभा को धर्मशाला और छात्रावास
के लिए भूमि देना सहर्ष स्वीकार कर लिया था जिसे राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री
श्री शिवचरण माथुर ने भी अपनी स्वीकृति दे दी थी।तब स्व. धर्मदास शास्त्री ने अखिल
भारतीय रैगर महासभा श्रीगंगा मंदिर रैगरपुरा चौक आर्य समाज रोड़, करोलबाग दिल्ली 110005 की ओर से राजस्थान सरकार को अपने हस्ताक्षर से एक आवेदन
पत्र भी लिखकर दिया था जिस पर काफी प्रयासों के बाद भूखण्ड के लिए राज्य सरकार के
आदेश तो प्राप्त हो गये परन्तु अज्ञात कारणों से इस पर काफी दिनों तक कोई
कार्यवाही नहीं की गई जिससे आंवटित भूखंड के आदेश रद्द कर दिये गये।
रैगर समाज में
आदरणीय डा. पी.एन.रछौया जी व्दारा प्रारम्भ करवाये गये सामूहिक विवाहों के दौर में
अखिल भारतीय रैगर युवा महासभा के प्रदेशाध्यक्ष फूलचंद बिलोनिया ने एक आयोजन समिति
गठित की जिस का मुख्य संरक्षक पी.एन. रछौया, आईपीएस, जो उस समय पुलिस
महानिरीक्षक के पद पर थे, को बनाया गया
जिन्होने 29 जून 2001 को सांगानेर जयपुर में ही 21 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्पन्न करवाया। इस
सामुहिक विवाह समारोह के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे। इसी विवाह समारोह
में डा. पी एन रछौया ने मुख्यमंत्री का ध्यान आकृषित कर यह बताया कि साल 1984 में धर्मदास शास्त्री व्दारा अखिल भारतीय रैगर
महासभा दिल्ली ने जयपुर में श्रीमति इन्दिरा गांधी और तत्कालीन मुख्यमंत्री
राजस्थान श्री शिवचरण माथुर के सम्मुख रैगर छात्रावास व धर्मशाला की भूमि आंवटन की
मांग रखी गई थी जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री राजस्थान ने श्रीमति इंदिरा गांधी के
सामने अखिल भारतीय रैगर महासभा श्रीगंगा मंदिर रैगरपुरा चौक आर्य समाज रोड़ करोलबाग
दिल्ली को जयपुर में रैगर छात्रावास व धर्मशाला के लिए भूमि आंवटन करने का आश्वासन
दिया गया था। इस प्रकार रैगर समाज की रैगर छात्रावास व धर्मशाला की मांग लम्बे समय
से चली आ रही हैं अतः राजस्थान सरकार तुरंत हमारी लम्बी चली आ रही मांग को स्वीकार
करते हुए छात्रावास व धर्मशाला के लिए जमीन उपलब्ध करवाये। इस पर मुख्यमंत्री श्री
अशोक गहलोत ने रछौया साहब को जल्दी फाईल देख कर शीर्ष उचित कार्यवाही करने का
आश्वासन दे दिया। इस प्रकार राजस्थान सरकार के पास लम्बे समय से लम्बित रैगर समाज
की मांग पूरी करने की कार्यवाही शुरू कर दी। इसका परिणाम यह हुआ कि 26 अगस्त 2001 को रैगर समाज धर्मशाला, रामदेवरा जैसलमेर के उद्घाटन सम्मारोह में श्री अशोक गहलोत
तत्कालीन मुख्यमंत्री राजस्थान ने यह घोषणा कि अखिल भारतीय रैगर महासभा श्री गंगा
मंदिर रैगरपुरा चौक करोलबाग दिल्ली को जयपुर में रैगर छात्रावास के लिए भूखंड
उपलब्ध करवा दिया गया हैं।
राज्य सरकार के
फैसले और घोषणा के बाद रैगर समाज के एक व्यक्ति छीतरमल मौर्य, जो राजस्थान रोडवेज से कई आरोपों में नौकरी से
बर्खास्त किया हुआ था। जे.डी.ए. अधिकारियों से मिलकर रैगर समाज को दिये जाने वाले
इस भूखंड को अपने व्यक्तिगत नाम व बहैसीयत प्रदेशाध्यक्ष दलित जन जागरण संघर्ष
समाज के नाम से स्वीकृत कराते हुए अपने घर के जयपुर के पते पर इस भूमि का अलोटमेंट
पत्र जयपुर विकास प्राधिकरण, जयपुर से जारी
करवा लिया। अलोटमेंट पत्र जारी करवाने के बाद इस व्यक्ति ने अपने नाम व पद,
प्रदेशाध्यक्ष, दलित जन जागरण संघर्ष समाज की हैसीयत से इस भूखंड के आंवटन
हेतु लिखित में अपना सहमति पत्र भी दिनांक 12 मार्च 2001 को जयपुर विकास
प्राधिकरण को प्रस्तुत कर दिया। इस दौरान एक दिन फूलचंद बिलोनिया इस व्यक्ति को
पी.एन. रछौया के कार्यालय निदेशक, राजस्थान पुलिस
अकादमी जयपुर में लेकर आये जिसने अपने नाम के आंवटन पत्र को निरस्त करवाकर अखिल
भारतीय रैगर महासभा को देने के लिए रूपये मांगे जिस पर आदरणीय पी एन रछौया साहब ने
उसे साफ मना कर दिया कि महासभा उसे किस बात के लिए रूपये दे जबकि महासभा ने ही
भूमि आंवटन का प्रार्थना पत्र लगाया हुआ था और यह भूखंड महासभा को ही आंवटित हुआ
हैं। रछौया साहब ने उसे अनेक बार समझाया कि यह भूखंड महासभा का है और उसने अपने नाम
से व दलित संघर्ष समिति के नाम से आंवटित करवा कर एक गलत कार्य किया है।
व्यक्तिगत नाम से
भूख जारी करवाने पर समाज में रोष ➖
अखिल भारतीय रैगर
महासभा (पंजीकृत) के नाम के बदले अपने व्यक्तिगत नाम और प्रदेशाध्यक्ष दलित जन
जागरण संघर्ष समाज के नाम से भूमि आंवटित की सूचना आग की भांति रैगर समाज में
सर्वव्यापी होने लग गई जिस पर लोगों ने जयपुर विकास प्राधिकरण से सम्पर्क करते हुए
परिवाद पेश किये। इन सबका परिणाम यह निकला कि प्रभारी अधिकारी, जोन नं. ए-1, जयपुर विकास प्राधिकरण ने अपने पत्र संख्या क्रमांक
जविप्रा/सा/यो/संस्था/जोन ए-1/95/385 दिनांक 16 मार्च 2001 व्दारा छीतरमल मौर्य के व्दारा इस भूखंड को
लेने के लिए दिये गये अपने सहमति पत्र दिनांक 12.3.2001 का हवाला देते हुए एक पत्र इस व्यक्ति को भेजा जिसमें यह
स्पष्ट लेख किया गया कि राज्य सरकार व्दारा रैगर महासभा को छात्रावास हेतु भूखंड
आंवटन हेतु अभिशंसा की हैं। उसी क्रम में आप को पत्र क्रमांक 349 दिनांक 7.3.2001 व्दारा भूखंड का मौका देखकर सहमति प्रस्तुत करने हेतु
सूचित किया गया था। आप व्दारा प्रदेशाध्यक्ष दलित जन जागरण संघर्ष समाज की हैसियत
से भूखंड आंवटन हेतु सहमति पत्र दिनांक 12.3 2001 को प्रस्तुत किया है। आप को पुनः पत्र प्रेषित कर लेख हैकि
भूखंड आंवटन हेतु अखिल भारतीय रैगर महासभा की ओर से ही सहमति पत्र प्राप्त होने के
पश्चात अग्रिम कार्यवाही संभव हो सकेगी। सूचित रहे।'
जयपुर विकास
प्राधिकरण के व्दारा इस पत्र के जारी होने के बाद इस व्यक्ति को यह साफ हो गया कि
यह भूखंड प्रदेशाध्यक्ष दलित जन जागरण संघर्ष समाज को नहीं बल्कि अखिल भारतीय रैगर
महासभा, श्री गंगा मंदिर रैगरपुरा
चौक आर्य समाज रोड़ करोलबाग दिल्ली अर्थात अखिल भारतीय रैगर महासभा जो दिल्ली में
रजिस्टर्ड थी को वास्तविक इस भूखंड का हकदार मानते हुए राज्य सरकार व्दारा दिया
गया है अतः अखिल भारतीय रैगर महासभा से सहमति पत्र लिखवा कर जयपुर विकास प्राधिकरण
में प्रस्तुत करना आत्यावश्क हो गया हैं।
भूखण्ड प्राप्ति
सम्बंधी चाले ➖
जयपुर विकास
प्राधिकरण व्दारा जारी इस पत्र के बाद अखिल भारतीय रैगर महासभा (पंजीकृत) के
पदाधिकारियों और समाज के प्रबुद्ध लोगों ने इस सम्बंध में यह निर्णय लिया कि जयपुर
विकास प्राधिकरण के आयुक्त से मिलकर उन्हें वास्तविक स्थिति से अवगत करवाया जाये।
यह व्यक्ति नहीं चाहता था कि अखिल भारतीय रैगर महासभा श्री गंगा मंदिर करोल बाग
दिल्ली को रैगर छात्रावास के लिए आंवटित भूखण्ड मिले अतः इसने यह चाल चली कि उसने
जयपुर के उन व्यक्तियों से सम्पर्क किया जिन्होंने धर्मदास शास्त्री की अगवाई में 30 अक्टूबर 2000 को अखिल भारतीय रैगर महासभा, श्रीगंगा मंदिर रैगरपुरा दिल्ली के जयपुर में हुए चुनाव में
अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित श्रीमति मीरा कंवरिया का विरोध किया था। इन सम्पर्कों
को करने का उसका उद्देश्य यह था कि उसके अपने नाम से आंवटित इस भूंखण्ड को यथावत
रखने में जयपुर के लोग उसकी सहायता करें और किसी तरह से यह भूखंड अखिल भारतीय रैगर
महासभा दिल्ली के पास नहीं जाये। इन व्यक्तिगत मुलाकातों में जयपुर के कुछ
व्यक्तियों ने आपस में यह गुप्त निर्णय लिया कि इस भूखंड पर कब्जा करने के लिए इस
व्यक्ति को साम-दण्ड-भेद से अपने कब्जे में लिया जाये जिससे इस भूखंड पर अखिल
भारतीय रैगर महासभा दिल्ली (पंजीकृत) का कब्जा नहीं हो सके। जयपुर के इन
व्यक्तियों ने अपने स्वार्थों के कारण यह निर्णय लिया कि अखिल भारतीय रैगर महासभा,
दिल्ली को दिल्ली के बदले जयपुर में लाकर अपने
अधीन ले लिया जाये चाहे इससे अखिल भारतीय रैगर महासभा दिल्ली (पंजीकृत) का अखिल
भारतीय अस्तित्व ही क्यों नहीं खत्म हो जाये? अपनी इस योजना को लागू करने के लिए जयपुर के इन लोगों यह
विचार किया कि या तो अखिल भारतीय रैगर महासभा दिल्ली पंजीकृत कार्यालय दिल्ली में
रखते हुए महासभा का मुख्यालय जयपुर करने का निर्णय ले लिया जाये या एक नयी अखिल
भारतीय रैगर महासभा खोल ली जावे और जयपुर के पते पर जयपुर विकास प्राधिकरण से
पत्राचार किया जाये। अपने गुप्त निर्णय को लागू करने के लिए इन्होंने यह आवश्यक
समझा कि नगर निकाय विभाग, राजस्थान के
मंत्री को वास्तविक स्थिति नहीं बताकर उससे सम्पर्क साधा जाये और उसे जयपुर के
लोगों के साथ रहने के लिए विवश किया जाये। अतः इन्होंने योजनाबद्ध तरीकें से 22.9.2001 को कल्याण नगर शिव मंदिर, जयपुर में एक मींटिंग बुलाते हुये कई अनाधिकृत
निर्णय लिये जिनमें प्रमुख यह था कि अखिल भारतीय रैगर महासभा के नाम से एक संस्था
का गठन कर इस व्यक्ति को नई गठित रैगर महासभा के नाम से एक संस्था का गठन कर इस
व्यक्ति को नई गठित अखिल भारतीय रैगर महासभा का आजीवन सदस्य बनाते हुए उपाध्यक्ष व
संगठन मंत्री का पद दिया जाये और इस व्यक्ति का आजीवन का सारा खर्चा रैगर जाति
व्दारा वहन किया जाये। इस निर्णय का मुख्य कारण यह था कि समाज की एकता के बदले इस
व्यक्ति से इस भूखंड के कागजात निकलवाकर जयपुर के इन व्यक्तियों के पास आ जाये। इस
बैठक के बाद इस व्यक्ति ने अपने आपको अखिल भारतीय रैगर महासभा का संगठन मंत्री
कहना और लिखना भी शुरू कर दिया। इस बैठक में अखिल भारतीय रैगर समाज के अनाधिकृत
रूप से संरक्षण, महासचिव, विधि सचिव, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और
सहकोषाध्यक्ष भी मनोनीत कर दियें गये। इस प्रकार एक तो अखिल भारतीय रैगर महासभा जो
गंगा मंदिर दिल्ली में रजिस्टर्ड थी और दूसरी तरफ अखिल भारतीय रैगर महासभा जयपुर
में खड़ी कर दी गई।
श्रीमति मीरा कंवरिया
राष्ट्रीय अध्यक्ष का आयुक्त को फर्जी लोगों के लिए पत्र ➖
रैगर समाज के
टुकड़े करने की इस गहरी चार को समझते हुए और रैगर समाज में कोई टुकडे नहीं हो इसके
लिए श्रीमति मीरा कंवरिया राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व महापौर, दिल्ली ने आयुक्त जयपुर विकास प्राधिकरण को रैगर समाज धर्मशाला एवम् छात्रावास
का आंवटन एवम् कब्जा अखिल भारतीय रैगर महासभा, दिल्ली पंजीकृत की राजस्थान की प्रदेश इकाई को सोपने के
सम्बंध में एक पत्र क्रमांक F/MOST/VIP/2001/577 दिनाक 15 अक्टूबर 2001 को लिखा गया था कि उपायुक्त जोन-1 के पत्र क्रमांक एफ2/2378/जविप्रा/जोन ए-1/96/1340 दिनांक 15 अगस्त 2001
(संलग्न पेज 25 सूची सहित) के व्दारा 30 अक्टुबर 2001को इस व्यक्ति को संगठन मंत्री, अखिल भारतीय रैगर महासभा के नाम से आंवटन पत्र जारी किया गया है जबकि यह
व्यक्ति वर्तमान में महासभा के किसी भी पद पर नहीं हैं। इसके साथ ही अखिल भारतीय
रैगर महासभा श्रीगंगा मंदिर दिल्ली पंजीकृत की जयपुर इकाई ने यह लिखा कि महासभा के
संविधान के अनुसार 30 अक्टूबर 2000 को जयपुर के चुनाव में श्रीमती मीरा कंवरिया
को महासभा का राष्ट्रीय अध्यक्षा चुनी गईं हैं, उन्होंने महासभा की राजस्थान प्रदेश इकाई का प्रदेश मनोनीत
किया है जो वर्तमान में समाज की गतिविधियों का संचालन कर रहा है। महासभा को ऐसी
जानकारी मिली है कि रैगर समाज की अन्य महासभा एवम् संस्थायें अधिकारियों को गुमराह
कर के इस जमीन को हथियाना चाहते हैं। रैगर समाज की सबसे बड़ी और सर्वोच्च संस्था
अखिल भारतीय रैगर महासभा (पजी.) हैं। यह महासभा ही भूखंड की वास्तविक हकदार हैं
तथा राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत हैं। पूर्व में वर्ष 1996 में इस महासभा को 2500 वर्ग मीटर भूमि आंवटित की गई थी लेकिन उस समय जेडीए व्दारा
मांगी गई बड़ी भारी राशि जमा नहीं कराने के कारण भूखंड रद्द हो गया था। भूखंड की
मांग हमारी महासभा बार बार कर रही थी। श्री अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार ने हमारी महासभा को भूखंड
आंवटित करने का आदेश दिया था।
महासभा की
राजस्थान इकाई का पत्र ➖
नगरीय विकास
विभाग के आदेश क्रमांक प. 3-96/नवि/3/2000 दिनांक 20 अक्टूबर 2001 जो सचिव जयपुर विकास प्राधिकरण जयपुर को दिये गये थे के प्राप्त होते ही अखिल
भारतीय रैगर महासभा की राजस्थान इकाई ने फिर एक पत्र आयुक्त जयपुर विकास प्राधिकरण
जयपुर को क्रमांक F/MOST/VIO/2001 दिनांक 29
/10/2001 को लिखा जिसके माध्यम से
अखिल भारतीय रैगर महासभा रैगरपुरा चौक करोलबाग दिल्ली पंजीकृत ने कई बिन्दु उठाये जिसमें रैगर समाज के को
षड़यत्रकारियों के चुंगल से बचाकर फर्जी अखिल भारतीय रैगर महासभा को जमीन नहीं देने
की बात कहीं गई। महासभा की राजस्थान इकाई के पत्र में साफ लिखा गया कि भूमि एवम्
सम्पत्ति निस्तारण की बैठक दिनांक 7/12/2001 को सचिव, नगरीय विकास
विभाग की अध्यक्षता में जे.ड़ी.ए. के समिति कक्ष में आयोजित की गई थी उक्त बैठक में
प्रस्ताव सं. 17 पर अखिल भारतीय
रैगर महासभा को धर्मशाला व छात्रावास हेतु आंवटन बाबत विचार कर महासभा को विद्याश्रम
स्कूल के सामने योजना जयपुर में भूखंड संख्या 9 क्षेत्रफल लगभग 5100 वर्गमीटर का आंवटन आवासीय आरक्षित दर करने के निर्णय लिया
गया हैं जिसके लिए रैगर समाज आभारी है। श्रीमान जी से निवेदन है कि महासभा की ओर
से निम्न बिन्दुओं की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते है :-
(1) यहां यह
उल्लेखनीय हैं कि रोड़वेज का बर्खास्तशुदा यह व्यक्ति एवं इसके सहयोगी महासभा के
पदाधिकारी नहीं हैं एवम् अन्य समाज विरोधी लोग (फर्जी) षडयंत्र रचकर सरकार एवम
जे.ड़ी.ए. प्रशासन से पत्र व्यवहार कर अधिकारियों को गुमराह करके राजनैतिक दबाव से
भूमि को छल बल एवम् षडयंत्रपूर्वक लेना
चाहते है और इन फर्जी लोगों को जमीन दिलवाने में कुछ जे.ड़ी.ए कर्मचारी एवम्
श्रीमान उपायुक्त जोन ए-1 लगे हुए हैं और
इन लोगों से मिले हुए हैं जिसका सत्यापन प्रस्ताव संख्या 17 पारित एजेण्डा नोट का अवलोकन से लगाया जा सकता हैं।
(2) समिति के समक्ष
पेश किया गया एजेंड़ा के सम्बंध में हमारी महासभा के पदाधिकारियों को नहीं सुना गया
है और ना ही हम से विचार विर्मश किया गया है जबकि महासभा साल 1993 से भूखंड के लिए पत्र व्यवहार कर रही हैं।
(3) महासभा का वर्ष 1996 में 2505 वर्गमीटर भूमि आंवटित की गई थी। जेडीए व्दारा मांगी गई बड़ी
भारी रकम के जमा नहीं करवाने के कारण भूखंड रद्द हो गया।
(4) महासभा व्दारा
आपको दिये गये पत्र क्रमांक एफ/मोस/वीआईपी/2001/577 दिनांक 15.9.2001 एवं 28.10.2001 एवं स्थागन
प्रार्थना पत्र सं. 664/2001 जयपुर विकास
अपीलीय अधिकरण जयपुर के आदेश 27 10.2001 का अवलोकन करें।
(5) विशेषाधिकारी
मुख्यमंत्री के अ.शा. पत्र. सं.मु.म./ओएसडी बी/2001/14984 दिनांक 31 19.2001 के पत्र का अवलोकन फरमावे।
(6) राजस्थान
प्रदेशाध्यक्ष अखिल भारतीय रैगर महासभा को जारी राज्य सरकार का पत्र क्रमांक पृ.3-(196)नविवि/3/2000 दिनांक 20 10.2001 का अवलोकन फरमावे जो सही जारी किया गया है था लेकिन राजनैतिक दबाव के कारण
फर्जी व्यक्ति को जारी पत्र निरस्त किया जावे।
(7) महासभा व्दारा
चैक सं 899521 दिनांक 22
9.2001 के व्दारा जरिये चालान
दस हजार रुपए जेड़िए के कोष में जमा कराये गये थे को समिति के समक्ष नहीं रखा गया।
(8) यदि हमारी महासभा
के अलावा फर्जी महासभा/संस्था को रैगर महासभा की जमीन आंवटित की गई तो रैगर समाज
आंदोलन करेगा और दोषी कर्मचारियों-अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग करेगा।
महासभा व्दारा
जारी प्रेस विज्ञप्ति ➖
महासभा की
राजस्थान इकाई व्दारा जिला न्यायालय में अपील व जीत ➖अखिल भारतीय रैगर महासभा पंजीकृत की अपील जिला न्यायालय व्दारा स्वीकार की जाकर जयपुर विकास प्राधिकरण को आदेशित किया गया कि रैगर जाति को दिये भूखंड के सम्बंध में जारी आंवटन पत्र एवम् लीज डीड में आंवटी के कांलम में अखिल भारतीय रैगर
महासभा पंजीकरण संख्या 2845/6566 अंकित करें एवम्
कब्जा पत्र भी अखिल भारतीय रैगर महासभा के नाम से जारी करें। न्यायालय अपर जिला
न्यायाधीश क्र.-जयपुर नगर, जयपुर ने दीवानी
विविध अपील संख्या 6/2002 में दिनांक 24 मई 2000 को निर्णय पारित किया।
महासभा की
राजस्थान इकाई की कठिनाई ➖
अब तक अखिल
भारतीय रैगर महासभा श्रीगंगा मंदिर रैगर पुरा चौक दिल्ली व इसकी राजस्थान प्रदेश
की इकाई के पदाधिकारियों व्दारा इन षड़यत्रकारियों के विरुद्ध लड़ना बहुत कठिन कार्य
हो गया था क्योंकि इन षड़यत्रकारियों में कई मानसिक अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्ति भी
सम्मिलित हो गए थे और राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त था।
छात्रावास प्रबंध
समिति व महासभा ➖
अखिल भारतीय रैगर
महासभा का मुख्यालय जे एल एन मार्ग जयपुर में है इसके अलावा भी रैगर छात्रावास
प्रबंधन समिति का मुख्यालय भी यही है। इसका अभिप्राय यह हुआ कि रैगर छात्रावास की
भूमि का अधिकार तो अखिल भारतीय रैगर महासभा के अधीन हैं और इस भूमि पर बनाया गया
रैगर छात्रावास का अधिकार और प्रबंधन रैगर छात्रावास प्रबन्ध समिति के अधीन है। इस
प्रबंधन छात्रावास समिति का मुख्यालय भी अखिल भारतीय रैगर महासभा की भूमि पर है
लगता है कि रैगर छात्रावास प्रबंधन समिति के मामलों में अखिल भारतीय रैगर महासभा
का कोई हस्तक्षेप नहीं है?
🖊️ एडवोकेट कमल भट्ट 🖊️
ब्यावर
यह पूरा लेख समाज
के वयोवृद्ध रिटायर्ड आईपीएस डॉ. पी एन रछौया साहब की पुस्तक रैगर जाति की
उत्पत्ति व सम्पूर्ण इतिहास )संस्करण 2018 तथा ISBN: 978-93-83147-90-8) से लिखा गया है।
बाबासाहेब अम्बेडकर जी ने कहा है कि जो समाज अपना इतिहास नहीं जानता ववह कभी शासक
नहीं बन सकता हैं।
जय भीम जय भीम जय
भीम