दिल्ली समाजहित
एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l आज के युग में सामाजिक संस्थाओ का मुख्य उद्देश्य समाज के
लोगो का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक तौर पर आधुनिक
विकास करना है l रैगर समाज एक विकासशील समाज है और एक विकासशील
समाज का यह लक्षण होता है कि वह निरंतर अपने आप को बदलता रहता है । अपनी पुरानी परंपराओ
की दोबारा से व्याख्या करता है और नवीन विचारों को अपने वैज्ञानिक और आधुनिक
पैमानों पर कस कर स्वीकारता है । रैगर समाज ने निरंतर इस प्रक्रिया को स्वीकार
किया है ।
सामाजिक संस्थाओ
का यह दायित्व और प्रयास होना चाहिए कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति के प्रति समभाव
हो, जो हर व्यक्ति के प्राकृतिक व संवैधानिक अधिकारों की पूर्ण
रक्षा का भरोसा प्रदान करता हो और हरेक व्यक्ति को समाज में यथोचित सम्मान पाने के
सभी अवसर समान रूप से उपलब्ध कराता हो । यानि सीधी-सी बात है समाज में सभी लोगों
में समानता, सम्मान एवं सौहार्द का भाव हो l
रैगर समाज की
सामाजिक संस्थाओ में समानता, सम्मान एवं सौहार्द के भाव बढ़ावा देने के लिए
अनिल कुमार अकरनिया (कमांडेंट ITBP) ने अपने विचार समाज के लोगो के समक्ष रखे है
जो इस प्रकार है :
रैगर समाज के
प्रिय बंधुओं,
आजकल समाज की
संस्थाओं के चुनावों में पैसे के दुरुपयोग एवं अनावश्यक खर्च को रोकने को लेकर
काफी तर्क-वितर्क सामने आ रहे है। उक्त संदर्भ में समाज में चर्चा होना समाज में
बढ़ रही जागरूकता का प्रतीक भी है। इस विषय में मेरा भी मानना है कि समाज की सभी
संस्थाओं के पदाधिकारियों की नियुक्तियां/मनोनयन चुनाव के बजाए आपसी सहमति से ही
होने चाहिए ताकि समाज का जो पैसा चुनावों में खर्च होता है, वो पैसा समाज के विकास में खर्च हो सके। साथ ही, ऐसे नियम भी बनने चाहिए :-
1. किसी भी सरकारी
अधिकारी/कर्मचारी एवं किसी भी राजनीतिक पार्टी में किसी भी पद पर पदस्थ व्यक्ति को
किसी भी संस्था में किसी भी पद पर नियुक्त/मनोनीत नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोग सामाजिक संस्थाओं में काम कम
और गुटबाजी ज्यादा बढ़ावा देते है। अगर किसी को समाज सेवा करनी है तो वो निःस्वार्थ
भाव से और बिना किसी पद के समाज सेवा करे। समाज सेवा के लिए किसी पद की क्या
आवश्यकता है?
2. किसी भी सरकारी
अधिकारी/कर्मचारी को किसी भी संस्था में किसी भी पद पर नियुक्त/मनोनीत से पहले यह
जानकारी सावर्जनिक करना अनिवार्य होना चाहिए कि सरकारी पद पर कार्यरत रहते हुए
उसके द्वारा समाजहित में क्या-क्या कार्य किये गये और उसका समाज के प्रति क्या
योगदान रहा, जैसे:-समाज के
किसी बच्चे की सरकारी या अपने विभाग में नौकरी लगवाना आदि।
3. किसी भी व्यक्ति
को सामाजिक संस्थाओं में किसी भी पद पर नियुक्त/मनोनीत करने से पहले उसके द्वारा
पूर्व में की गई समाज सेवा की जानकारी और समाज के प्रति हासिल की गई उपलब्धियों की
जानकारी सावर्जनिक करना अनिवार्य होना चाहिये।
4. जिस भी व्यक्ति
को नियुक्त/मनोनीत किया जाये, वो किसी भी अन्य
संस्था में किसी भी पद पर पदाधिकारी/सदस्य नहीं होना चाहिये और ना ही उसने संस्था
के नाम पर अपनी कोई दुकान खोल रखी हो।
5. किसी भी व्यक्ति
को किसी भी संस्था में किसी भी पद पर नियुक्त/मनोनीत करने से पहले एक शपथ पत्र
लिया जाये कि, यदि वो संस्था
में नियुक्त/मनोनीत के अन्य संस्थाओं/संस्था में बतौर पदाधिकारी/सदस्य पाया जाता
है तो उसकी नियुक्ति/मनोयन तत्काल प्रभाव से रदद् कर दिया जाये।
6. एक व्यक्ति को एक
संस्था में एक बार ही नियुक्त/मनोनीत किया जाये। एक ही व्यक्ति को बार-बार एक ही
संस्था में अलग-अलग पदों पर नियुक्ति/मनोनीत न किया जाये।
"एक व्यक्ति - एक
पद - एक ही बार" की नीति का सख्ती से अनुशरण किया जाये।